सूरा-ए-क़ारिया | ||
101 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
101 | 1 | खड़खड़ाने वाली |
101 | 2 | और कैसी खड़खड़ाने वाली |
101 | 3 | और तुम्हें क्या मालूम कि वह कैसी खड़खड़ाने वाली है |
101 | 4 | जिस दिन लोग बिखरे हुए पतिंगों के मानिन्द (तरह) हो जायेंगे |
101 | 5 | और पहाड़ धुनकी हुई रूई की तरह उड़ने लगेंगे |
101 | 6 | तो उस दिन जिसकी नेकियों का पल्ला भारी होगा |
101 | 7 | वह पसन्दीदा (पसन्द आने वाले) ऐश में होगा |
101 | 8 | और जिसका पल्ला हल्का होगा |
101 | 9 | उसका मर्कज़ हाविया है |
101 | 10 | और तुम क्या जानो कि हाविया क्या मुसीबत है |
101 | 11 | ये एक दहकती हुई आग है |
Saturday, 18 April 2015
Sura-e-Qariya 101st surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment