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सूरा-ए-क़ारिया |
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अज़ीम और दाएमी (हमेशा
बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। |
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1 |
खड़खड़ाने वाली |
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2 |
और कैसी खड़खड़ाने
वाली |
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3 |
और तुम्हें क्या मालूम
कि वह कैसी खड़खड़ाने वाली है |
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4 |
जिस दिन लोग बिखरे हुए
पतिंगों के मानिन्द (तरह) हो जायेंगे |
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5 |
और पहाड़ धुनकी हुई
रूई की तरह उड़ने लगेंगे |
101 |
6 |
तो उस दिन जिसकी
नेकियों का पल्ला भारी होगा |
101 |
7 |
वह पसन्दीदा (पसन्द
आने वाले) ऐश में होगा |
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8 |
और जिसका पल्ला हल्का
होगा |
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9 |
उसका मर्कज़ हाविया
है |
101 |
10 |
और तुम क्या जानो कि
हाविया क्या मुसीबत है |
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11 |
ये एक दहकती हुई आग
है |
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