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सूरा-ए-आदियात |
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अज़ीम और दाएमी (हमेशा
बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। |
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1 |
फ़र्राटे भरते हुए
तेज़ रफ़्तार घोड़ों की क़सम |
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2 |
जो टाप मारकर
चिन्गारियाँ उड़ाने वाले हैं |
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3 |
फिर सुबह दम हमला करने
वाले हैं |
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4 |
फिर ग़्ाु़बारे जंग
उड़ाने वाले हैं |
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5 |
और दुश्मन की जमीयत
(मजमे) में दर आने (घुस जाने) वाले हैं |
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6 |
बेशक इन्सान अपने
परवरदिगार (पालने वाले) के लिए बड़ा नाशुक्रा है |
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7 |
और वह खु़द भी इस बात
का गवाह है |
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8 |
और वह माल की मोहब्बत
में बहुत सख़्त है |
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9 |
क्या उसे नहीं मालूम
है कि जब मुर्दों को क़ब्रों से निकाला जायेगा |
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10 |
और दिल के राज़ों को
ज़ाहिर कर दिया जायेगा |
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11 |
तो इनका परवरदिगार
(पालने वाला) उस दिन के हालात से खू़ब बाख़बर होगा |
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