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सूरा-ए-ज़लज़ला |
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अज़ीम और दाएमी (हमेशा
बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। |
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1 |
जब ज़मीन ज़ोरों के
साथ ज़लज़ले में आ जायेगी |
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2 |
और वह सारे ख़ज़ाने
निकाल डालेगी |
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3 |
और इन्सान कहेगा कि
उसे क्या हो गया है |
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4 |
उस दिन वह अपनी ख़बरें
बयान करेगी |
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5 |
कि तुम्हारे परवरदिगार
(पालने वाले) ने उसे इशारा किया है |
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6 |
उस रोज़ सारे इन्सान
गिरोह दर गिरोह क़ब्रों से निकलेंगे ताकि अपने आमाल (कामों) को देख सकें |
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7 |
फिर जिस शख़्स ने
ज़र्रे बराबर नेकी की है वह उसे देखेगा |
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8 |
और जिसने ज़र्रा बराबर
बुराई की है वह उसे देखेगा |
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