सूरा-ए-तकासुर | ||
102 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
102 | 1 | तुम्हें बाहमी (आपसी) मुक़ाबले कसरते माल व औलाद (माल व औलाद की ज़्यादती) ने ग़ाफि़ल (बेपरवाह) बना दिया |
102 | 2 | यहाँ तक कि तुमने क़ब्रों से मुलाक़ात कर ली |
102 | 3 | देखो तुम्हें अनक़रीब (बहुत जल्द) मालूम हो जायेगा |
102 | 4 | और फिर ख़ू़ब मालूम हो जायेगा |
102 | 5 | देखो अगर तुम्हें यक़ीनी इल्म हो जाता |
102 | 6 | कि तुम जहन्नम को ज़रूर देखोगे |
102 | 7 | फिर उसे अपनी आँखों देखे यक़ीन की तरह देखोगे |
102 | 8 | और फिर तुमसे उस दिन नेअमत के बारे में सवाल किया जायेगा |
Saturday, 18 April 2015
Sura-e-Takasur 102nd surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
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