Thursday, 16 April 2015

Sura-e-Rahman 55th sura of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)

    सूरा-ए-रहमान
55   अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू।
55 1 वह ख़ुदा बड़ा मेहरबान है
55 2 उसने कु़रआन की तालीम दी है
55 3 इन्सान को पैदा किया है
55 4 और उसे बयान सिखाया है
55 5 आफ़ताब (सूरज) व माहताब (चाँद) सब उसी के मुक़र्ररकर्दा (तय किये हुए) हिसाब के साथ चल रहे हैं
55 6 और बूटियाँ बेलें और दरख़्त (पेड़) सब उसी का सज्दा कर रहे हैं
55 7 उसने आसमान को बलन्द किया है और इन्साफ़ की तराजू़ क़ायम की है
55 8 ताकि तुम लोग वज़न में हद से तजाविज़ (ज़्यादती) न करो
55 9 और इन्साफ़ के साथ वज़न को क़ायम करो और तौलने में कम न तौलो
55 10 और उसी ने ज़मीन को इन्सानों के लिए वज़आ किया (बिछाया) है
55 11 इसमें मेवे हैं और वह खजूरें हैं जिनके ख़ोशों पर गि़लाफ़ चढ़े हुए हैं
55 12 वह दाने हैं जिनके साथ भूसा होता है और खुशबूदार फूल भी हैं
55 13 अब तुम दोनों अपने रब की किस-किस नेअमत का इन्कार करोगे
55 14 उसने इन्सान को ठीकरे की तरह खनखनाती हुई मिट्टी से पैदा किया है
55 15 और जिन्नात को आग के शोलों से पैदा किया है
55 16 तो तुम दोनों अपने परवरदिगार (पालने वाले) की किस-किस नेअमत को झुठलाओगे
55 17 वह चाँद और सूरज दोनों के मशरिक़ (पूरब) और मग़रिब (पश्चिम) का मालिक है
55 18 फिर तुम दोनों अपने रब की किन-किन नेअमतों को झुठलाओगे
55 19 उसने दो दरिया बहाये हैं जो आपस में मिल जाते हैं
55 20 इनके दरम्यान (बीच में) हद्दे फ़ासिल (आड़) है कि एक दूसरे पर ज़्यादती नहीं कर सकते
55 21 तो तुम अपने रब की किस-किस नेअमत को झुठलाओगे
55 22 इन दोनों दरियाओं से मोती और मूँगे बरामद होते हैं
55 23 तो तुम अपने रब की किस-किस नेअमत को झुठलाओगे
55 24 उसी के वह जहाज़ भी हैं जो दरिया में पहाड़ों की तरह खड़े रहते हैं
55 25 तो तुम अपने रब की किस-किस नेअमत को झुठलाओगे
55 26 जो भी रूए ज़मीन पर है सब फ़ना (ख़त्म) हो जाने वाले हैं
55 27 सिर्फ़ तुम्हारे रब की ज़ात जो साहेबे जलाल (अज़मत) व इकराम (एहसान करने वाला) है वही बाक़ी रहने वाली है
55 28 तो तुम अपने रब की किस-किस नेअमत को झुठलाओगे
55 29 आसमान व ज़मीन में जो भी है सब उसी से सवाल करते हैं और वह हर रोज़ एक नई शान वाला है
55 30 तो तुम अपने रब की किस-किस नेअमत को झुठलाओगे
55 31 ऐ दोनों गिरोहांे हम अनक़रीब (बहुत जल्द) ही तुम्हारी तरफ़ मुतावज्जे होंगे
55 32 तो तुम अपने परवरदिगार (पालने वाले) की किस-किस नेअमत का इन्कार करोगे
55 33 ऐ गिरोहे जिन (जिन्नात) व इन्स (इन्सान) अगर तुममें कु़दरत हो कि आसमान व ज़मीन के एतराफ़ (इर्द-गिर्द) से बाहर निकल जाओ तो निकल जाओ मगर याद रखो कि तुम कू़व्वत (ताक़त) और ग़ल्बे के बग़ैर नहीं निकल सकते हो
55 34 तो तुम अपने परवरदिगार (पालने वाले) की किस-किस नेअमत का इन्कार करोगे
55 35 तुम्हारे ऊपर आग का सब्ज़ शोला और धुँआ छोड़ दिया जायेगा तो तुम दोनों किसी तरह नहीं रोक सकते हो
55 36 फिर तुम अपने रब की किस-किस नेअमत का इन्कार करोगे
55 37 फिर जब आसमान फट कर तेल की तरह सुखऱ् (लाल) हो जायेगा
55 38 तो तुम अपने परवरदिगार (पालने वाले) की किस-किस नेअमत का इन्कार करोगे
55 39 फिर उस दिन किसी इन्सान या जिन्न (जिन्नात) से उसके गुनाह के बारे में सवाल नहीं किया जायेगा
55 40 तो फिर तुम अपने रब की किस-किस नेअमत को झुठलाओगे
55 41 मुजरिम (जुर्म करने वाला) अफ़राद (लोगों) तो अपनी निशानी ही से पहचान लिये जायेंगे फिर पेशानी (माथे) और पैरों से पकड़ लिये जायेंगे
55 42 तो तुम अपने रब की किस-किस नेअमत का इन्कार करोगे
55 43 यही वह जहन्नम है जिसका मुजरेमीन (जुर्म करने वाले) इन्कार कर रहे थे
55 44 अब इसके और खौलते हुए पानी के दरम्यान (बीच) चक्कर लगाते फिरेंगे
55 45 फिर तुम अपने रब की किस-किस नेअमत का इन्कार करोगे
55 46 और जो शख़्स अपने रब की बारगाह में खड़े होने से डरता है उसके लिए दो-दो बाग़ात हैं
55 47 फिर तुम अपने परवरदिगार (पालने वाले) की किस-किस नेअमत को झुठलाओगे
55 48 और दोनों बाग़ात दरख़्तों (पेड़ों) की टहनियों से हरे भरे मेवों से लदे होंगे
55 49 फिर तुम अपने रब की किस-किस नेअमत को झुठलाओगे
55 50 इन दोनों दो चश्में भी जारी होंगे
55 51 फिर तुम अपने रब की किस-किस नेअमत का इन्कार करोगे
55 52 इन दोनों में हर मेवे के जोड़े होंगे
55 53 फिर तुम अपने रब की किस-किस नेअमत का इन्कार करोगे
55 54 यह लोग उन फ़र्शों पर तकिया लगाये बैठे होंगे जिनके असतर अतलस (रेशम) के होंगे और दोनों बाग़ात (बाग़ों) के मेवे इन्तिहाई क़रीब से हासिल कर लेंगे
55 55 फिर तुम अपने रब की किस-किस नेअमत का इन्कार करोगे
55 56 इन जन्नतों में महदूद (हद में रहने वाली) निगाह वाली हूरें होंगी जिनको इन्सान और जिन्नात में से किसी ने पहले छुआ भी न होगा
55 57 फिर तुम अपने रब की किस-किस नेअमत का इन्कार करोगे
55 58 वह हूरें इस तरह की होंगी जैसे सुखऱ् याकू़त और मूँगे
55 59 फिर तुम अपने परवरदिगार (पालने वाले) की किस-किस नेअमत का इन्कार करोगे
55 60 क्या एहसान का बदला एहसान के अलावा कुछ और भी हो सकता है
55 61 तो तुम अपने रब की किस-किस नेअमत का इन्कार करोगे
55 62 और इन दोनों के अलावा दो बाग़ात और होंगे
55 63 फिर तुम अपने रब की किस किस नेअमत का इन्कार करोगे
55 64 दोनों निहायत दर्जे सर सब्ज़ व शादाब होंगे
55 65 फिर तुम अपने रब की किस-किस नेअमत का इन्कार करोगे
55 66 इन दोनों बाग़ात में भी दो जोश मारते (फ़ौव्वारों की तरह उबलते) हुए चश्मे (पानी के दरिया) होंगे
55 67 फिर तुम अपने रब की किस किस नेअमत का इन्कार करोगे
55 68 इन दोनों बाग़ात में मेवे, खजूरें और अनार होंगे
55 69 फिर तुम अपने रब की किस-किस नेअमत का इन्कार करोगे
55 70 इन जन्नतों में नेक (अच्छी) सीरत और खू़बसूरत औरतें होंगी
55 71 फिर तुम अपने रब की किस-किस नेअमत का इन्कार करोगे
55 72 वह हूरें हैं जो ख़ैमों के अन्दर छिपी बैठी होंगी
55 73 तो तुम अपने रब की किस-किस नेअमत का इन्कार करोगे
55 74 उन्हें इनसे पहले किसी इन्सान या जिन्न ने हाथ तक न लगाया होगा
55 75 फिर तुम अपने रब की किस किस नेअमत का इन्कार करोगे
55 76 वह लोग सब्ज़ क़ालीनों और बेहतरीन (सबसे अच्छी) मसनदों पर टेक लगाये बैठे होंगे
55 77 फिर तुम अपने रब की किस-किस नेअमत का इन्कार करोगे
55 78 बड़ा बाबरकत (बरकत वाला) है आपके परवरदिगार (पालने वाले) का नाम जो साहेबे जलाल भी है और साहेबे इकराम भी है

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