Saturday, 18 April 2015

Sura-e-Insheqaq 84th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)

    सूरा-ए-इनशेक़ाक़
84   अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू।
84 1 जब आसमान फट जायेगा 
84 2 और अपने परवरदिगार (पालने वाले) का हुक्म बजा लायेगा (पूरा करेगा) और ये ज़रूरी भी है 
84 3 और जब ज़मीन बराबर करके फैला दी जायेगी 
84 4 और वह अपने ज़ख़ीरे फेंककर ख़ाली हो जायेगी 
84 5 और अपने परवरदिगार (पालने वाले) का हुक्म बजा लायेगी (पूरा करेगी) और ये ज़रूरी भी है 
84 6 ऐ इन्सान तू अपने परवरदिगार (पालने वाले) की तरफ़ जाने की कोशिश कर रहा है तो एक दिन उसका सामना करेगा 
84 7 फिर जिसको नामा-ए-आमाल (कामों का हिसाब-किताब) दाहिनें हाथ में दिया जायेगा 
84 8 उसका हिसाब आसान होगा 
84 9 और वह अपने अहल (अपने वालों, अपने घर वालों) की तरफ़ ख़ु़शी-ख़ु़शी वापस आयेगा 
84 10 और जिसको नामा-ए-आमाल (कामों का हिसाब-किताब) पुश्त (पीठ, पीछे) की तरफ़ से दिया जायेगा 
84 11 वह अनक़रीब (बहुत जल्द) मौत की दुआ करेगा 
84 12 और जहन्नम की आग में दाखि़ल होगा 
84 13 ये पहले अपने अहलो अयाल (घर वालों, बीवी-बच्चों) में बहुत ख़ु़श था 
84 14 और उसका ख़्याल था कि पलटकर ख़ुदा की तरफ़ नहीं जायेगा 
84 15 हाँ उसका परवरदिगार (पालने वाले) ख़ू़ब देखने वाला है 
84 16 मैं शफ़क़ (शाम की सुखऱ्ी) की क़सम खाकर कहता हूँ 
84 17 और रात और जिन चीज़ों को वह ढाँक लेती है उनकी क़सम 
84 18 और चाँद की क़सम जब वह पूरा हो जाये 
84 19 कि तुम एक मुसीबत के बाद दूसरी मुसीबत में मुब्तिला (पड़े हुए) होगे 
84 20 फिर उन्हें क्या हो गया है कि ईमान नहीं ले आते हैं 
84 21 और जब उनके सामने कु़रआन पढ़ा जाता है तो सजदा नहीं करते हैं 
84 22 बल्कि कुफ़्फ़ार (ख़ुदा या उसके हुक्म का इन्कार करने वाले) तो तकज़ीब (झुठलाना) भी करते हैं 
84 23 और अल्लाह ख़ू़ब जानता है जो ये अपने दिलों में छिपाए हुए हैं 
84 24 अब आप उन्हें दर्दनाक अज़ाब की बशारत (ख़बर) दे दें
84 25 अलावा साहेबाने ईमान व अमले सालेह (नेक अमल करने वालों) के कि उनके लिए न ख़त्म होने वाला अज्र (सिला) व सवाब है 

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