सूरा-ए-नस्र | ||
110 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
110 | 1 | जब ख़ुदा की मदद और फ़तेह की मंजि़ल (आखि़री जगह) आ जायेगी |
110 | 2 | और आप देखेंगे कि लोग दीने ख़ुदा में फ़ौज दर फ़ौज दाखि़ल हो रहे हैं |
110 | 3 | तो अपने रब की हम्द (तारीफ़) की तसबीह करें और उससे अस्तग़फ़ार (गुनाहों की माफ़ी की दुआ) करें कि वह बहुत ज़्यादा तौबा कु़बूल करने वाला है |
Saturday, 18 April 2015
Sura-e-Nasr 110th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
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