सूरा-ए-क़द्र | ||
97 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
97 | 1 | बेशक हमने इसे शबे क़द्र में नाजि़ल किया है |
97 | 2 | और आप क्या जानें ये शबे क़द्र क्या चीज़ है |
97 | 3 | शबे क़द्र हज़ार महीनों से बेहतर (ज़्यादा अच्छी) है |
97 | 4 | इसमें मलायका और रूहुल क़ुदस इज़्ने ख़ुदा (ख़ुदा की इजाज़त) के साथ तमाम उमूर (अम्रे इलाही) को लेकर नाजि़ल होते हैं |
97 | 5 | ये रात तुलू-ए-फ़ज्र (सुबह होने) तक सलामती ही सलामती है |
Saturday, 18 April 2015
Sura-e-Qadra 97th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
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