सूरा-ए-नास | ||
114 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
114 | 1 | ऐ रसूल कह दीजिए के मैं इन्सानों के परवरदिगार (पालने वाले) की पनाह चाहता हूँ |
114 | 2 | जो तमाम लोगों का मालिक और बादशाह है |
114 | 3 | सारे इन्सानांे का माबूद (इबादत के क़ाबिल) है |
114 | 4 | शैतानी वसवास (वहम, ख़ौफ़ के ख़याल) के शर (बुराई) से जो नामे ख़ुदा सुनकर पीछे हट जाता है |
114 | 5 | और जो लोगों के दिलों में वसवसे (वहम, ख़ौफ़ के ख़याल) पैदा करता है |
114 | 6 | वह जिन्नात में से हो या इन्सानों में से |
Saturday, 18 April 2015
Sura-e-Naas 114th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
Sura-e-Falaq 113th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
सूरा-ए-फ़लक़ | ||
113 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
113 | 1 | कह दीजिए कि मैं सुबह के मालिक की पनाह चाहता हूँ |
113 | 2 | तमाम मख़्लूक़ात के शर (बुराई) से |
113 | 3 | और अंधेरी रात के शर (बुराई) से जब उसका अंधेरा छा जाये |
113 | 4 | और गन्डों पर फँूकने वालियों के शर (बुराई) से |
113 | 5 | और हर हसद करने (जलने) वाले के शर (बुराई) से जब भी वह हसद (जलन) करे |
Sura-e-Ikhlas 112th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
सूरा-ए-एख़लास | ||
112 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
112 | 1 | ऐ रसूल कह दीजिए कि वह अल्लाह एक है |
112 | 2 | अल्लाह बरहक़ और बेनियाज़ (जिसे कोई/किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं) है |
112 | 3 | उसकी न कोई औलाद है और न वालिद (बाप) |
112 | 4 | और न उसका कोई कुफ़ू (बराबरी वाला) और हमसर है |
Sura-e-Masad/Lahab 111st surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
सूरा-ए-मसद/लहब | ||
111 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
111 | 1 | अबूलहब के हाथ टूट जायें और वह हलाक (बरबाद, ख़त्म) हो जाये |
111 | 2 | न उसका माल ही उसके काम आया और न उसका कमाया हुआ सामान ही |
111 | 3 | वह अनक़रीब (बहुत जल्द) भड़कती हुई आग में दाखि़ल होगा |
111 | 4 | और उसकी बीवी जो लकड़ी ढोने वाली है |
111 | 5 | उसकी गर्दन में बटी हुई रस्सी बंधी हुई है |
Sura-e-Nasr 110th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
सूरा-ए-नस्र | ||
110 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
110 | 1 | जब ख़ुदा की मदद और फ़तेह की मंजि़ल (आखि़री जगह) आ जायेगी |
110 | 2 | और आप देखेंगे कि लोग दीने ख़ुदा में फ़ौज दर फ़ौज दाखि़ल हो रहे हैं |
110 | 3 | तो अपने रब की हम्द (तारीफ़) की तसबीह करें और उससे अस्तग़फ़ार (गुनाहों की माफ़ी की दुआ) करें कि वह बहुत ज़्यादा तौबा कु़बूल करने वाला है |
Sura-e-Kafiroon 109th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
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Sura-e-Kausar 108th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
सूरा-ए-कौसर | ||
108 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
108 | 1 | बेशक हमने आपको कौसर अता किया है |
108 | 2 | लेहाज़ा (इसलिये) आप अपने रब के लिए नमाज़ पढ़ें और कु़र्बानी दें |
108 | 3 | यक़ीनन आपका दुश्मन बे औलाद रहेगा |
सूरा-ए-काफ़ेरून | ||
109 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
109 | 1 | आप कह दीजिए कि ऐ काफि़रों (कुफ्ऱ करने वाले, ख़ुदा या उसके हुक्म का इन्कार करने वालों) |
109 | 2 | मैं उन ख़ुदाओं की इबादत नहीं कर सकता जिनकी तुम पूजा करते हो |
109 | 3 | और न तुम मेरे ख़ुदा की इबादत करने वाले हो |
109 | 4 | न मैं तुम्हारे माबूदों की पूजा करने वाला हूँ |
109 | 5 | और न तुम मेरे माबूद (इबादत के क़ाबिल अल्लाह) के इबादतगुज़ार (इबादत करने वाले) हो |
109 | 6 | तुम्हारे लिए तुम्हारा दीन है और मेरे लिए मेरा दीन है |
Sura-e-Maoon 107th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
सूरा-ए-माऊन | ||
107 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
107 | 1 | क्या तुमने उस शख़्स को देखा है जो क़यामत को झुठलाता है |
107 | 2 | ये वही है जो यतीम को धक्के देता है |
107 | 3 | और किसी को मिसकीन (मोहताज) के खाने के लिए तैयार नहीं करता है |
107 | 4 | तो तबाही है उन नमाजि़यों के लिए |
107 | 5 | जो अपनी नमाज़ों से ग़ाफि़ल रहते हैं |
107 | 6 | दिखाने के लिए अमल करते हैं |
107 | 7 | और मामूली जु़रूफ़ (आम ज़रूरत की चीज़) भी आरियत (मांगने) पर देने से इन्कार करते हैं |
Sura-e-Quraish 106th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
सूरा-ए-क़ुरैश | ||
106 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
106 | 1 | कु़रैश के उन्स व उल्फ़त की ख़ातिर |
106 | 2 | जो उन्हें सर्दी और गर्मी के सफ़र से है अबरहा को हलाक (बरबाद, ख़त्म) कर दिया है |
106 | 3 | लेहाज़ा (इसलिये) उन्हें चाहिए कि उस घर के मालिक की इबादत करें |
106 | 4 | जिसने उन्हें भूख में सेर किया है और ख़ौफ़ (डर) से महफ़ूज़ बनाया है |
Sura-e-Feel 105th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
सूरा-ए-फ़ील | ||
105 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
105 | 1 | क्या तुमने नहीं देखा कि तुम्हारे रब ने हाथी वालों के साथ क्या बरताव किया है |
105 | 2 | क्या उनकी चाल को बेकार नहीं कर दिया है |
105 | 3 | और उन पर उड़ती हुई अबाबील को भेज दिया है |
105 | 4 | जो उन्हें खरन्जों की कंकरियां मार रही थीं |
105 | 5 | फिर उन्होंने उन सबको चबाये हुए भूसे के मानिन्द (तरह) बना दिया |
Sura-e-Hamzah 104th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
सूरा-ए-हम्ज़ाह | ||
104 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
104 | 1 | तबाही और बर्बादी है हर तानाज़न (ताना देने वाले) और चुग़लख़ोर (शिकायत करने वाले) के लिए |
104 | 2 | जिसने माल को जमा किया और ख़ू़ब इसका हिसाब रखा |
104 | 3 | उसका ख़्याल था कि ये माल उसे हमेशा बाक़ी रखेगा |
104 | 4 | हर्गिज़ नहीं उसे यक़ीनन हुतमा में डाल दिया जायेगा |
104 | 5 | और तुम क्या जानो कि हुतमा क्या शै है |
104 | 6 | ये अल्लाह की भड़काई हुई आग है |
104 | 7 | जो दिलों तक चढ़ जायेगी |
104 | 8 | वह आग इनके ऊपर घेर दी जायेगी |
104 | 9 | लम्बे-लम्बे सुतूनों (खम्भों) के साथ |
Sura-e-Asr 103rd surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
सूरा-ए-अस्र | ||
103 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
103 | 1 | क़सम है अस्र की |
103 | 2 | बेशक इन्सान ख़सारे (घाटे) में है |
103 | 3 | अलावा उन लोगों के जो ईमान लाये और उन्होंने नेक (अच्छे) आमाल (काम) किये और एक दूसरे को हक़ और सब्र की वसीयत (जाने से पहले इन कामों को अन्जाम देने की नसीहत) व नसीहत की |
Sura-e-Takasur 102nd surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
सूरा-ए-तकासुर | ||
102 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
102 | 1 | तुम्हें बाहमी (आपसी) मुक़ाबले कसरते माल व औलाद (माल व औलाद की ज़्यादती) ने ग़ाफि़ल (बेपरवाह) बना दिया |
102 | 2 | यहाँ तक कि तुमने क़ब्रों से मुलाक़ात कर ली |
102 | 3 | देखो तुम्हें अनक़रीब (बहुत जल्द) मालूम हो जायेगा |
102 | 4 | और फिर ख़ू़ब मालूम हो जायेगा |
102 | 5 | देखो अगर तुम्हें यक़ीनी इल्म हो जाता |
102 | 6 | कि तुम जहन्नम को ज़रूर देखोगे |
102 | 7 | फिर उसे अपनी आँखों देखे यक़ीन की तरह देखोगे |
102 | 8 | और फिर तुमसे उस दिन नेअमत के बारे में सवाल किया जायेगा |
Sura-e-Qariya 101st surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
सूरा-ए-क़ारिया | ||
101 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
101 | 1 | खड़खड़ाने वाली |
101 | 2 | और कैसी खड़खड़ाने वाली |
101 | 3 | और तुम्हें क्या मालूम कि वह कैसी खड़खड़ाने वाली है |
101 | 4 | जिस दिन लोग बिखरे हुए पतिंगों के मानिन्द (तरह) हो जायेंगे |
101 | 5 | और पहाड़ धुनकी हुई रूई की तरह उड़ने लगेंगे |
101 | 6 | तो उस दिन जिसकी नेकियों का पल्ला भारी होगा |
101 | 7 | वह पसन्दीदा (पसन्द आने वाले) ऐश में होगा |
101 | 8 | और जिसका पल्ला हल्का होगा |
101 | 9 | उसका मर्कज़ हाविया है |
101 | 10 | और तुम क्या जानो कि हाविया क्या मुसीबत है |
101 | 11 | ये एक दहकती हुई आग है |
Sura-e-Adiyaat 100th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
सूरा-ए-आदियात | ||
100 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
100 | 1 | फ़र्राटे भरते हुए तेज़ रफ़्तार घोड़ों की क़सम |
100 | 2 | जो टाप मारकर चिन्गारियाँ उड़ाने वाले हैं |
100 | 3 | फिर सुबह दम हमला करने वाले हैं |
100 | 4 | फिर ग़्ाु़बारे जंग उड़ाने वाले हैं |
100 | 5 | और दुश्मन की जमीयत (मजमे) में दर आने (घुस जाने) वाले हैं |
100 | 6 | बेशक इन्सान अपने परवरदिगार (पालने वाले) के लिए बड़ा नाशुक्रा है |
100 | 7 | और वह खु़द भी इस बात का गवाह है |
100 | 8 | और वह माल की मोहब्बत में बहुत सख़्त है |
100 | 9 | क्या उसे नहीं मालूम है कि जब मुर्दों को क़ब्रों से निकाला जायेगा |
100 | 10 | और दिल के राज़ों को ज़ाहिर कर दिया जायेगा |
100 | 11 | तो इनका परवरदिगार (पालने वाला) उस दिन के हालात से खू़ब बाख़बर होगा |
Sura-e-Zalzala 99th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
सूरा-ए-ज़लज़ला | ||
99 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
99 | 1 | जब ज़मीन ज़ोरों के साथ ज़लज़ले में आ जायेगी |
99 | 2 | और वह सारे ख़ज़ाने निकाल डालेगी |
99 | 3 | और इन्सान कहेगा कि उसे क्या हो गया है |
99 | 4 | उस दिन वह अपनी ख़बरें बयान करेगी |
99 | 5 | कि तुम्हारे परवरदिगार (पालने वाले) ने उसे इशारा किया है |
99 | 6 | उस रोज़ सारे इन्सान गिरोह दर गिरोह क़ब्रों से निकलेंगे ताकि अपने आमाल (कामों) को देख सकें |
99 | 7 | फिर जिस शख़्स ने ज़र्रे बराबर नेकी की है वह उसे देखेगा |
99 | 8 | और जिसने ज़र्रा बराबर बुराई की है वह उसे देखेगा |
Sura-e-Bayyanah 98th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
सूरा-ए-बय्यनह | ||
98 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
98 | 1 | अहले किताब के कुफ़्फ़ार (ख़ुदा या उसके हुक्म का इन्कार करने वाले) और दीगर मुशरेकीन (दूसरे शिर्क करने वाले) अपने कुफ्ऱ (ख़ुदा या उसके हुक्म का इन्कार करने) से अलग होने वाले नहीं थे जब तक कि उनके पास खुली दलील न आ जाती |
98 | 2 | अल्लाह की तरफ़ का नुमाईन्दा जो पाकीज़ा सहीफ़ों की तिलावत करे |
98 | 3 | जिनमें क़ीमती और मज़बूत बातें लिखी हुई हैं |
98 | 4 | और ये अहले किताब मुत्फ़र्रिक़ नहीं हुए मगर उस वक़्त जब इनके पास खुली हुई दलील आ गई |
98 | 5 | और इन्हें सिर्फ़ इस बात का हुक्म दिया गया था कि ख़ुदा की इबादत करें और इस इबादत को उसी के लिए ख़ालिस रखें और नमाज़ क़ायम करें और ज़कात अदा करें और यही सच्चा और मुस्तहकम दीन है |
98 | 6 | बेशक अहले किताब में जिन लोगों ने कुफ्ऱ (ख़ुदा या उसके हुक्म का इन्कार करना) इखि़्तयार किया है और दीगर (दूसरे) मुशरेकीन (ख़ुदा के साथ दूसरों को शरीक करने वाले) सब जहन्नम में हमेशा रहने वाले हैं और यही बदतरीन (सबसे बुरे) ख़लाएक़ हैं |
98 | 7 | और बेशक जो लोग ईमान लाये हैं और उन्होंने नेक (अच्छे) आमाल (काम) किये हैं वह बेहतरीन (सबसे अच्छे) ख़लाएक़ हैं |
98 | 8 | परवरदिगार (पालने वाले) के यहाँ उनकी जज़ा (सिला) वह बाग़ात हैं जिनके नीचे नहरें जारी होंगी वह उन्हीं में हमेशा रहने वाले हैं ख़ुदा उनसे राज़ी है और वह उससे राज़ी हैं और ये सब उसके लिए है जिसके दिल में ख़ौफ़े ख़ुदा (ख़ुदा का डर) है |
Sura-e-Qadra 97th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
सूरा-ए-क़द्र | ||
97 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
97 | 1 | बेशक हमने इसे शबे क़द्र में नाजि़ल किया है |
97 | 2 | और आप क्या जानें ये शबे क़द्र क्या चीज़ है |
97 | 3 | शबे क़द्र हज़ार महीनों से बेहतर (ज़्यादा अच्छी) है |
97 | 4 | इसमें मलायका और रूहुल क़ुदस इज़्ने ख़ुदा (ख़ुदा की इजाज़त) के साथ तमाम उमूर (अम्रे इलाही) को लेकर नाजि़ल होते हैं |
97 | 5 | ये रात तुलू-ए-फ़ज्र (सुबह होने) तक सलामती ही सलामती है |
Sura-e-Alaq 96th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
सूरा-ए-अलक़ | ||
96 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
96 | 1 | उस ख़ुदा का नाम लेकर पढ़ो जिसने पैदा किया है |
96 | 2 | उसने इन्सान को जमे हुए ख़ू़न से पैदा किया है |
96 | 3 | पढ़ो और तुम्हारा परवरदिगार (पालने वाला) बड़ा करीम (करम करने वाला) है |
96 | 4 | जिसने क़लम के ज़रिये तालीम दी है |
96 | 5 | और इन्सान को वह सब कुछ बता दिया है जो उसे नहीं मालूम था |
96 | 6 | बेशक इन्सान सरकशी (बग़ावत) करता है |
96 | 7 | कि अपने को बेनियाज़ (जिसे कोई/किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं) ख़्याल करता है |
96 | 8 | बेशक आपके रब की तरफ़ वापसी है |
96 | 9 | क्या तुमने उस शख़्स को देखा है जो मना करता है |
96 | 10 | बन्दा-ए-ख़ुदा को जब वह नमाज़ पढ़ता है |
96 | 11 | क्या तुमने देखा कि अगर वह बन्दा हिदायत पर हो |
96 | 12 | या तक़्वे (ख़ुदा के ख़ौफ़) का हुक्म दे तो रोकना कैसा है |
96 | 13 | क्या तुमने देखा कि अगर उस काफि़र (कुफ्ऱ करने वाले, ख़ुदा या उसके हुक्म का इन्कार करने वाले) ने झुठलाया और मुँह फेर लिया |
96 | 14 | तो क्या तुम्हें नहीं मालूम कि अल्लाह देख रहा है |
96 | 15 | याद रखो अगर वह रोकने से बाज़ न आया तो हम पेशानी (माथे) के बाल पकड़कर घसीटेंगे |
96 | 16 | झूठे और ख़ताकार (ग़ल्तियां करने वाले) की पेशानी (माथे) के बाल |
96 | 17 | फिर वह अपने हमनशीनों को बुलाए |
96 | 18 | हम भी अपने जल्लाद फ़रिश्तों को बुलाते हैं |
96 | 19 | देखो तुम हर्गिज़ उसकी इताअत न करना और सज्दा करके कु़र्बे ख़ुदा (ख़ुदा की क़ुर्बत) हासिल करो |
Sura-e-Teen 95th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
सूरा-ए-तीन | ||
95 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
95 | 1 | क़सम है इंजीर और जै़तून की |
95 | 2 | और तूरे सिनीन की |
95 | 3 | और उस अमन वाले शहर की |
95 | 4 | हमने इन्सान को बेहतरीन (सबसे अच्छी) साख़्त मंे पैदा किया है |
95 | 5 | फिर हमने उसको पस्ततरीन (सबसे कमज़ोर, गिरी हुई) हालत की तरफ़ पलटा दिया है |
95 | 6 | अलावा उन लोगों के जो ईमान लाये और उन्होंने नेक (अच्छा) आमाल (कामं) अंजाम दिये तो उनके लिए न ख़त्म होने वाला अज्र (सिला) है |
95 | 7 | फिर तुमको रोज़े जज़ा (सिला) के बारे में कौन झुठला सकता है |
95 | 8 | क्या ख़ुदा सबसे बड़ा हाकिम और फ़ैसला करने वाला नहीं है |
Sura-e-Alsharah 94th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
सूरा-ए-अलशराह | ||
94 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
94 | 1 | क्या हमने आपके सीने को कुशादा नहीं किया |
94 | 2 | और क्या आपके बोझ को उतार नहीं लिया |
94 | 3 | जिसने आपकी कमर को तोड़ दिया था |
94 | 4 | और आपके जि़क्र को बलन्द कर दिया |
94 | 5 | हाँ ज़हमत (परेशानी) के साथ आसानी भी है |
94 | 6 | बेशक तकलीफ़ के साथ सहूलियत भी है |
94 | 7 | लेहाज़ा (इसलिये) जब आप फ़ारिग़ हो जायें तो नस्ब कर दें |
94 | 8 | और अपने रब की तरफ़ रूख़ करें |
Sura-e-Al-Zuha 93rd surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
सूरा-ए-अलजुहा | ||
93 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
93 | 1 | क़सम है एक पहर चढ़े दिन की |
93 | 2 | और क़सम है रात की जब वह चीज़ों की पर्दापोशी करे (छुपा ले) |
93 | 3 | तुम्हारे परवरदिगार (पालने वाले) ने न तुमको छोड़ा है और न तुमसे नाराज़ हुआ है |
93 | 4 | और आखि़रत तुम्हारे लिए दुनिया से कहीं ज़्यादा बेहतर (ज़्यादा अच्छी) है |
93 | 5 | और अनक़रीब (बहुत जल्द) तुम्हारा परवरदिगार (पालने वाले) तुम्हें इस क़द्र अता कर देगा कि ख़ु़श हो जाओ |
93 | 6 | क्या उसने तुमको यतीम पाकर पनाह नहीं दी है |
93 | 7 | और क्या तुमको गुमगुश्ता (खोया हुआ) पाकर मंजि़ल (आखि़री जगह) तक नहीं पहुँचाया है |
93 | 8 | और तुमको तंगदस्त (माल के एतबार से ग़रीब) पाकर ग़नी (मालदार) नहीं बनाया है |
93 | 9 | लेहाज़ा (इसलिये) अब तुम यतीम पर क़हर न करना |
93 | 10 | और सायल (सवाल करने वाले) को झिड़क मत देना |
93 | 11 | और अपने परवरदिगार (पालने वाले) की नेअमतों को बराबर बयान करते रहना |
Sura-e-Al Lail 92nd surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
सूरा-ए-अललैल | ||
92 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
92 | 1 | रात की क़सम जब वह दिन को ढाँप ले |
92 | 2 | और दिन की क़सम जब वह चमक जाये |
92 | 3 | और उसकी क़सम जिसने मर्द और औरत को पैदा किया है |
92 | 4 | बेशक तुम्हारी कोशिशें मुख़्तलिफ़ (अलग-अलग) कि़स्म की हैं |
92 | 5 | फिर जिसने माल अता किया और तक़्वा (ख़ुदा का ख़ौफ़) इखि़्तयार किया |
92 | 6 | और नेकी की तसदीक़ (गवाही) की |
92 | 7 | तो उसके लिए हम आसानी का इन्तिज़ाम कर देंगे |
92 | 8 | और जिसने बुख़्ल (कंजूसी) किया और लापरवाही बरती |
92 | 9 | और नेकी को झुठलाया है |
92 | 10 | उसके लिए सख़्ती की राह हमवार कर देंगे |
92 | 11 | और उसका माल कुछ काम न आयेगा जब वह हलाक (बरबाद, ख़त्म) हो जायेगा |
92 | 12 | बेशक हिदायत की जि़म्मेदारी हमारे ऊपर है |
92 | 13 | और दुनिया व आखि़रत का इखि़्तयार हमारे हाथों में है |
92 | 14 | तो हमने तुम्हें भड़की हुई आग से डराया |
92 | 15 | जिसमंे कोई न जायेगा सिवाए बदबख़्त शख़्स के |
92 | 16 | जिसने झुठलाया और मुँह फेर लिया |
92 | 17 | और उससे अनक़रीब (बहुत जल्द) साहेबे तक़्वा (ख़ुदा का ख़ौफ़ रखने वालों) को महफ़ूज़ रखा जायेगा |
92 | 18 | जो अपने माल को देकर पाकीज़गी का एहतेमाम करता है |
92 | 19 | जबकि उसके पास किसी का कोई एहसान नहीं है जिसकी जज़ा (सिला) दी जाये |
92 | 20 | सिवाए ये कि वह ख़ुदाए बुजु़र्ग की मजऱ्ी का तलबगार है |
92 | 21 | और अनक़रीब (बहुत जल्द) वह राज़ी हो जायेगा |
Sura-e-Shams 91st surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
सूरा-ए-शम्स | ||
91 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
91 | 1 | आफ़ताब (सूरज) और उसकी रौशनी की क़सम |
91 | 2 | और चाँद की क़सम जब वह उसके पीछे चले |
91 | 3 | और दिन की क़सम जब वह रौशनी बख़्शे |
91 | 4 | और रात की क़सम जब वह उसे ढाँक ले |
91 | 5 | और आसमान की क़सम और जिसने उसे बनाया है |
91 | 6 | और ज़मीन की क़सम और जिसने उसे बिछाया है |
91 | 7 | और नफ़्स (जान) की क़सम और जिसने उसे दुरूस्त (ठीक) किया है |
91 | 8 | फिर बदी (बुराई) और तक़्वा (ख़ुदा के ख़ौफ़) की हिदायत दी है |
91 | 9 | बेशक वह कामयाब हो गया जिसने नफ़्स (जान) को पाकीज़ा बना लिया |
91 | 10 | और वह नामुराद हो गया जिसने उसे आलूदा कर दिया है |
91 | 11 | समूद ने अपनी सरकशी (बग़ावत) की बिना पर रसूल की तकज़ीब (झुठलाना) की |
91 | 12 | जब उनका बदबख़्त उठ खड़ा हुआ |
91 | 13 | तो ख़ुदा के रसूल ने कहा कि ख़ुदा की ऊँटनी और उसकी सेराबी (भूख-प्यास) का ख़्याल रखना |
91 | 14 | तो उन लोगों ने उसकी तकज़ीब (झुठलाना) की और उसकी कोंचे काट डालीं तो ख़ुदा ने उनके गुनाह के सबब उन पर अज़ाब नाजि़ल कर दिया और उन्हें बिल्कुल बराबर कर दिया |
91 | 15 | और उसे इसके अंजाम का कोई ख़ौफ़ (डर) नहीं है |
Sura-e-Balad 90th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
सूरा-ए-बलद | ||
90 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
90 | 1 | मैं उस शहर की क़सम खाता हूँ |
90 | 2 | तुम उसी शहर में तो रहते हो |
90 | 3 | तुम्हारे बाप आदम (अलैहिस्सलाम) और उनकी औलाद की क़सम |
90 | 4 | हमने इन्सान को मशक़्क़त में रहने वाला बनाया है |
90 | 5 | क्या उसका ख़्याल ये है कि उस पर कोई क़ाबू न पा सकेगा |
90 | 6 | कि वह कहता है कि मैंने बेतहाशा सर्फ़ किया है |
90 | 7 | क्या उसका ख़्याल है कि उसको किसी ने नहीं देखा है |
90 | 8 | या हमने उसके लिए दो आँखे नहीं क़रार दी हैं |
90 | 9 | और ज़बान और दो हांेठ भी |
90 | 10 | और हमने उसे दोनांे रास्तों की हिदायत दी है |
90 | 11 | फिर वह घाटी पर से क्यों नहीं गुज़रा |
90 | 12 | और तुम क्या जानो ये घाटी क्या है |
90 | 13 | किसी गर्दन का आज़ाद कराना |
90 | 14 | या भूख के दिन में खाना खिलाना |
90 | 15 | किसी क़राबतदार (क़रीबी रिश्तेदार) यतीम को |
90 | 16 | या ख़ाकसार मिसकीन (मोहताज) को |
90 | 17 | फिर वह उन लोगों में शामिल हो जाता जो ईमान लाये और उन्होंने सब्र और मरहमत की एक दूसरे को नसीहत (अच्छी बातों का बयान) की |
90 | 18 | यही लोग ख़ु़शनसीबी वाले हैं |
90 | 19 | और जिन लोगों ने हमारी आयात से इन्कार किया है वह बदबख़्ती वाले हैं |
90 | 20 | उन्हें आग में डालकर उसे हर तरफ़ से बन्द कर दिया जायेगा |
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