Saturday, 18 April 2015

Sura-e-Al-Zuha 93rd surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)

    सूरा-ए-अलजुहा
93   अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू।
93 1 क़सम है एक पहर चढ़े दिन की
93 2 और क़सम है रात की जब वह चीज़ों की पर्दापोशी करे (छुपा ले)
93 3 तुम्हारे परवरदिगार (पालने वाले) ने न तुमको छोड़ा है और न तुमसे नाराज़ हुआ है 
93 4 और आखि़रत तुम्हारे लिए दुनिया से कहीं ज़्यादा बेहतर (ज़्यादा अच्छी) है
93 5 और अनक़रीब (बहुत जल्द) तुम्हारा परवरदिगार (पालने वाले) तुम्हें इस क़द्र अता कर देगा कि ख़ु़श हो जाओ 
93 6 क्या उसने तुमको यतीम पाकर पनाह नहीं दी है 
93 7 और क्या तुमको गुमगुश्ता (खोया हुआ) पाकर मंजि़ल (आखि़री जगह) तक नहीं पहुँचाया है 
93 8 और तुमको तंगदस्त (माल के एतबार से ग़रीब) पाकर ग़नी (मालदार) नहीं बनाया है 
93 9 लेहाज़ा (इसलिये) अब तुम यतीम पर क़हर न करना 
93 10 और सायल (सवाल करने वाले) को झिड़क मत देना 
93 11 और अपने परवरदिगार (पालने वाले) की नेअमतों को बराबर बयान करते रहना 

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