Saturday, 18 April 2015

Sura-e-Mursalat 77th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)

    सूरा-ए-मुरसलात
77   अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू।
77 1 उनकी क़सम जिन्हें तसलसुल (सिलसिले) के साथ भेजा गया है
77 2 फिर तेज़ रफ़्तारी से चलने वाली हैं
77 3 और क़सम है उनकी जो अशिया को मुन्तशिर (फैलाने, तितर-बितर) करने वाली हैं
77 4 फिर उन्हें आपस में जुदा करने वाली हैं
77 5 फिर जि़क्र को नाजि़ल करने वाली हैं
77 6 ताकि उज़्र तमाम हो (कोई बहाना न बचे) या ख़ौफ़ (डर) पैदा कराया जाये
77 7 जिस चीज़ का तुमसे वादा किया गया है वह बहरहाल (हर तरह से, हर हाल में) वाक़ेअ होने वाली है
77 8 फिर जब सितारों की चमक ख़त्म हो जाये
77 9 और आसमानों में शिगाफ़ (फ़टना, दरार) पैदा हो जाये
77 10 और जब पहाड़ उड़ने लगें
77 11 और जब सारे पैग़म्बर अलैहिस्सलाम एक वक़्त में जमा कर लिये जायें
77 12 भला किस दिन के लिए इन बातों में ताख़ीर (देरी) की गई है
77 13 फ़ैसले के दिन के लिए
77 14 और आप क्या जानें कि फ़ैसले का दिन क्या है
77 15 उस दिन झुठलाने वालों के लिए जहन्नम है
77 16 क्या हमने इनके पहले वालों को हलाक (बरबाद, ख़त्म) नहीं कर दिया है
77 17 फिर दूसरे लोगों को भी इन्हीं के पीछे लगा देंगे
77 18 हम मुजरिमों (जुर्म करने वालों) के साथ इसी तरह का बरताव करते हैं
77 19 और आज के दिन झुठलाने वालों के लिए बर्बादी ही बर्बादी है
77 20 क्या हमने तुमको एक हक़ीर पानी से नहीं पैदा किया है
77 21 फिर इसे एक महफ़ूज़ मुक़ाम (हिफ़ाज़त वाली जगह) पर क़रार दिया है
77 22 एक मुअईयन (तय की हुई) मिक़दार तक
77 23 फिर हमने इसकी मिक़दार मुअईयन (तय) की है तो हम बेहतरीन (सबसे अच्छी) मिक़दार मुक़र्रर करने वाले हैं
77 24 आज के दिन झुठलाने वालों के लिए बर्बादी है
77 25 क्या हमने ज़मीन को एक जमा करने वाला ज़र्फ़ नहीं बनाया है
77 26 जिसमें जि़न्दा मुर्दा सबको जमा करेंगे
77 27 और इसमें ऊँचे-ऊँचे पहाड़ क़रार दिये हैं और तुम्हें शीरीं (मीठे) पानी से सेराब किया (पिलाया) है
77 28 आज झुठलाने वालों के लिए बर्बादी और तबाही है
77 29 जाओ उस तरफ़ जिस की तकज़ीब (झुठलाना) किया करते थे
77 30 जाओ उस धुँए के साये की तरफ़ जिसके तीन गोशे (कोने) हैं 
77 31 न ठण्डक है और न जहन्नम की लपट से बचाने वाला सहारा
77 32 वह ऐसे अंगारे फेंक रहा है जैसे कोई महल
77 33 जैसे ज़र्द रंग के ऊँट
77 34 आज के दिन झुठलाने वालों के लिए बर्बादी और जहन्नम है
77 35 आज के दिन ये लोग बात भी न कर सकंेगे
77 36 और न उन्हें इस बात की इजाज़त होगी कि उज़्र (बहाना) पेश कर सकें
77 37 आज के दिन झुठलाने वालों के लिए जहन्नम है
77 38 ये फ़ैसले का दिन है जिसमें हमने तुमको और तमाम पहले वालों को इकठ्ठा किया है
77 39 अब अगर तुम्हारे पास कोई चाल हो तो हमसे इस्तेमाल करो
77 40 आज तकज़ीब (झुठलाना) करने वालों के लिए जहन्नम है
77 41 बेशक मुत्तक़ीन (ख़ुदा से डरने वाले लोग) घनी छाँव और चश्मों (दरियाओं) के दरम्यान (बीच में) होंगे
77 42 और उनकी ख़्वाहिश के मुताबिक़ मेवे होंगे
77 43 अब इत्मिनान से खाओ पियो उन आमाल (कामों) की बिना पर जो तुमने अंजाम दिये हैं
77 44 हम इसी तरह नेक (अच्छा) अमल करने वालों को बदला देते हैं
77 45 आज झुठलाने वालों के लिए जहन्नम है
77 46 तुम लोग थोड़े दिनों खाओ और आराम कर लो कि तुम मुजरिम (जुर्म करने वाले) हो
77 47 आज के दिन तकज़ीब (झुठलाना) करने वालों के लिए वैल (जहन्नम की घाटी) है
77 48 और जब उनसे कहा जाता है कि रूकूअ करो तो नहीं करते हैं
77 49 तो आज के दिन झुठलाने वालों के लिए जहन्नम है
77 50 आखि़र ये लोग इसके बाद किस बात पर ईमान ले आयेंगे

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