Saturday, 18 April 2015

Sura-e-Dahr (Insan) 76th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)

    सूरा-ए-दहर/इन्सान
76   अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू।
76 1 यक़ीनन इन्सान पर एक ऐसा वक़्त भी आया है कि जब वह कोई क़ाबिले जि़क्र शै नहीं था
76 2 यक़ीनन हमने इन्सान को एक मिलेजुले नुत्फ़े से पैदा किया है ताकि उसका इम्तिहान लें और फिर उसे समाअत और बसारत वाला (सुनने और देखने वाला) बना दिया है
76 3 यक़ीनन हमने उसे रास्ते की हिदायत दे दी है चाहे वह शुक्रगुज़ार हो जाये या कुफ्ऱाने नेअमत (नेअमत का इन्कार) करने वाला हो जाये
76 4 बेशक हमने काफ़ेरीन (ख़ुदा या उसके हुक्म का इन्कार करने वाले) के लिए जंजीरें, तौक़ और भड़कते हुए शोलों का इन्तिज़ाम किया है
76 5 बेशक हमारे नेक बन्दे उस प्याले में पियेंगे जिसमें शराब के साथ काफ़ूर की आमेजि़श (मिलावट) होगी
76 6 ये एक चश्मा (दरिया जैसा) है जिससे अल्लाह के नेक (अच्छा) बन्दे पियेंगे और जिधर चाहेंगे बहाकर ले जायेंगे
76 7 ये बन्दे नज़र को पूरा करते हैं और उस दिन से डरते हैं जिसकी सख़्ती हर तरफ़ फैली हुई है
76 8 ये उसकी मोहब्बत में मिसकीन (मोहताज), यतीम और असीर (क़ैदी) को खाना खिलाते हैं
76 9 हम सिर्फ़ अल्लाह की मजऱ्ी की ख़ातिर तुम्हें खिलाते हैं वरना न तुमसे कोई बदला चाहते हैं न शुक्रिया
76 10 हम अपने परवरदिगार (पालने वाले) से उस दिन के बारे में डरते हैं जिस दिन चेहरे बिगड़ जायेंगे और उन पर हवाईयाँ उड़ने लगेंगी
76 11 तो ख़ुदा ने उन्हें उस दिन की सख़्ती से बचा लिया और ताज़गी और सुरूर (ताज़गी) अता कर दिया
76 12 और उन्हें उनके सब्र के एवज़ (बदले) जन्नत और हरीरे जन्नत (जन्नत के हरीरे, मेवे) अता करेगा
76 13 जहाँ वह तख़्तों पर तकिया लगाये बैठे होंगे न आफ़ताब (सूरज) की गर्मी देखेंगे और न सर्दी
76 14 उनके सरों पर क़रीब तरीन साया (सबसे क़रीब छांव) होगा और मेवे बिल्कुल इनके इखि़्तयार में कर दिये जायेंगे
76 15 इनके गिर्द (आस-पास) चाँदी के प्याले और शीशे के साग़रों की गर्दिश होगी
76 16 ये साग़र भी चाँदी ही के होंगे जिन्हें ये लोग अपने पैमाने के मुताबिक़ बना लेंगे
76 17 ये वहाँ ऐसे प्याले से सेराब किये जायेंगे जिसमें ज़नजबील की आमेजि़श (मिलावट) होगी
76 18 जो जन्नत का एक चश्मा (दरिया जैसा) है जिसे सलसबील कहा जाता है
76 19 और इनके गिर्द (आस-पास) हमेशा नौजवान रहने वाले बच्चे गर्दिश कर रहे होंगे कि तुम उन्हंे देखोगे तो बिखरे हुए मोती मालूम होंगे
76 20 और फिर दोबारा देखोगे तो नेअमतें और एक मुल्के कबीर (बड़ा मुल्क, बड़ी सल्तनत) नज़र आयेगा
76 21 इनके ऊपर करीब (अतलस) के सब्ज़ लिबास और रेशम के हल्ले होंगे और उन्हें चाँदी के कंगन पहनाये जायेंगे और उन्हें उनका परवरदिगार (पालने वाले) पाकीज़ा शराब से सेराब करेगा
76 22 ये सब तुम्हारी जज़ा (सिला) है और तुम्हारी सअई (कोशिश) क़ाबिले कु़बूल है
76 23 हमने आप पर कु़रआन तदरीजन (पै दर पै, एक के बाद एक करके) नाजि़ल किया है
76 24 लेहाज़ा (इसलिये) आप हुक्मे ख़ुदा की ख़ातिर सब्र करें और किसी गुनाहगार या काफि़र (कुफ्ऱ करने वाले, ख़ुदा या उसके हुक्म का इन्कार करने वाले) की बात में न आ जायें
76 25 और सुबह व शाम अपने परवरदिगार (पालने वाले) के नाम की तसबीह (तारीफ़) करते रहें
76 26 और रात के एक हिस्से में उसका सज्दा करें और बड़ी रात तक उसकी तसबीह (तारीफ़) करते रहें
76 27 ये लोग सिर्फ़ दुनिया की नेअमतों को पसन्द करते हैं और अपने पीछे एक बड़े संगीन (भारी) दिन को छोड़े हुए हैं
76 28 हमने इनको पैदा किया है और इनके आज़ा (जिस्म के हिस्सों) को मज़बूत बनाया है और जब चाहेंगे तो इन्हें बदलकर इनके जैसे दूसरे अफ़राद (लोग) ले आयेंगे
76 29 ये एक नसीहत (अच्छी बातों के बयान) का सामान है जिसका जी चाहे अपने परवरदिगार (पालने वाले) के रास्ते को इखि़्तयार कर ले
76 30 और तुम लोग सिर्फ़ वही चाहते हो जो परवरदिगार (पालने वाले) चाहता है बेशक अल्लाह हर चीज़ का जानने वाला और साहेबे हिकमत है
76 31 वह जिसे चाहता है अपनी रहमत में दाखि़ल कर लेता है और उसने ज़ालेमीन (ज़्ाुल्म करने वालों) के लिए दर्दनाक अज़ाब मुहैय्या (तैयार) कर रखा है

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