Saturday, 18 April 2015

Sura-e-Abasaa 80th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)

    सूरा-ए-अबसा
80   अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू।
80 1 उसने मुँह बिसूर (बिगाड़) लिया और पीठ फेर (मुंह मोड़) ली 
80 2 कि उनके पास एक नाबीना (अन्धा) आ गया 
80 3 और तुम्हें क्या मालूम शायद वह पाकीज़ा नफ़्स (जान) हो जाता 
80 4 या नसीहत (अच्छी बातें) हासिल कर लेता तो वह नसीहत (अच्छी बातों का बयान) उसके काम आ जाती 
80 5 लेकिन जो मुस्तग़नी बन बैठा है 
80 6 आप उसकी फि़क्र में लगे हुए हैं 
80 7 हालांकि आप पर कोई जि़म्मेदारी नहीं है अगर वह पाकीज़ा न भी बने 
80 8 लेकिन जो आपके पास दौड़कर आया है 
80 9 और वह ख़ौफ़े ख़ु़दा (ख़ुदा का डर) भी रखता है 
80 10 आप उससे बेरूख़ी करते हैं 
80 11 देखिये ये कु़रआन एक नसीहत (अच्छी बातों का बयान) है 
80 12 जिसका जी चाहे कु़बूल कर ले 
80 13 ये बाइज़्ज़त सहीफ़ों में है 
80 14 जो बलन्द व बाला और पाकीज़ा है 
80 15 ऐसे लिखने वालों के हाथों में हैं 
80 16 जो मोहतरम और नेक (अच्छा) किरदार हैं 
80 17 इन्सान इस बात से मारा गया कि किस क़द्र नाशुक्रा हो गया है 
80 18 आखि़र उसे किस चीज़ से पैदा किया है 
80 19 उसे नुत्फ़े से पैदा किया है फिर इसका अंदाज़ा मुक़र्रर किया है 
80 20 फिर उसके लिए रास्ते को आसान किया है 
80 21 फिर उसे मौत देकर दफ़्ना दिया 
80 22 फिर जब चाहा दोबारा जि़न्दा करके उठा लिया
80 23 हर्गिज़ नहीं उसने हुक्मे ख़ुदा को बिल्कुल पूरा नहीं किया है 
80 24 ज़रा इन्सान अपने खाने की तरफ़ तो निगाह करे 
80 25 बेशक हमने पानी बरसाया है 
80 26 फिर हमने ज़मीन को शिगाफ़्ता किया (फ़ाड़ा, दरार डाली) है 
80 27 फिर हमने उसमें दाने पैदा किये हैं 
80 28 और अंगूर और तरकारियां 
80 29 और जै़तून और खजूर 
80 30 और घने-घने बाग़ 
80 31 और मेवे और चारा 
80 32 ये सब तुम्हारे और तुम्हारे जानवरों के लिए सरमाया-ए-हयात (जि़न्दगी के सामान) है
80 33 फिर जब कान के पर्दे फाड़ने वाली क़यामत आ जायेगी 
80 34 जिस दिन इन्सान अपने भाई से फ़रार करेगा 
80 35 माँ-बाप से भी 
80 36 और बीवी और औलाद से भी 
80 37 उस दिन हर आदमी की एक ख़ास फि़क्र होगी जो उसके लिए काफ़ी होगी 
80 38 उस दिन कुछ चेहरे रौशन होंगे 
80 39 मुस्कुराते हुए खिले हुए 
80 40 और कुछ चेहरे गु़बार आलूद (गर्द में पुते हुए) होंगे 
80 41 उन पर जि़ल्लत छायी हुई होगी 
80 42 यही लोग हक़ीक़तन काफि़र (कुफ्ऱ करने वाले, ख़ुदा या उसके हुक्म का इन्कार करने वाले) और फ़ाजिर (गुनाहगार) होंगे 

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