Saturday, 18 April 2015

Sura-e-Takavir 81st surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)

    सूरा-ए-तकवीर
81   अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू।
81 1 जब चादरे आफ़ताब (सूरज) को लपेट दिया जायेगा 
81 2 जब तारे गिर पड़ेंगे 
81 3 जब पहाड़ हरकत में आ जायेंगे 
81 4 जब अनक़रीब (बहुत जल्द) जनने वाली ऊँटनियाँ मुअत्तिल कर दी जायेंगी (छूटी फि़रेंगी) 
81 5 जब जानवरों को इकठ्ठा किया जायेगा 
81 6 जब दरिया भड़क उठेंगे 
81 7 जब रूहों को जिस्मों से जोड़ दिया जायेगा 
81 8 और जब जि़न्दा दरगोर (गाड़ी हुई) लड़कियों के बारे में सवाल किया जायेगा 
81 9 कि उन्हें किस गुनाह में मारा गया है 
81 10 और जब नामा-ए-आमाल (कामों के हिसाब-किताब) मुन्तशिर कर (बांट) दिये जायेंगे 
81 11 और जब आसमान का छिल्का उतार दिया जायेगा 
81 12 और जब जहन्नम की आग भड़का दी जायेगी 
81 13 और जब जन्नत क़रीबतर (ज़्यादा पास) कर दी जायेगी 
81 14 तब हर नफ़्स (जान) को मालूम होगा कि उसने क्या हाजि़र (पेश) किया है 
81 15 तो मैं उन सितारों की क़सम खाता हूँ जो पलट जाने वाले हैं 
81 16 चलने वाले और छुप जाने वाले हैं 
81 17 और रात की क़सम जब ख़त्म होने को आये 
81 18 और सुबह की क़सम जब साँस लेने लगे 
81 19 बेशक ये एक मोअजि़्ज़ज़ (इज़्ज़त वाले) फ़रिश्ते का बयान है 
81 20 वह साहेबे कू़व्वत (ताक़त) है और साहेबे अर्श की बारगाह का मकीन (रहने वाला) है 
81 21 वह वहाँ क़ाबिले इताअत (कहने पर अमल करने) और फिर अमानतदार (अमानत की हिफ़ाज़त करने वाला) है 
81 22 और तुम्हारा साथी पैग़म्बर दीवाना नहीं है 
81 23 और उसने फ़रिश्ते को बलन्द उफ़क़ पर देखा है 
81 24 और वह ग़ैब के बारे में बख़ील (कंजूसी करने वाला) नहीं है 
81 25 और ये कु़रआन किसी शैतान रजीम (मरदूद) का क़ौल नहीं है 
81 26 तो तुम किधर चले जा रहे हो 
81 27 ये सिर्फ़ आलमीन के लिए एक नसीहत (अच्छी बातों के बयान) का सामान है 
81 28 जो तुम में से सीधा होना चाहे 
81 29 और तुम लोग कुछ नहीं चाह सकते मगर ये कि आलमीन (तमाम जहानों) का परवरदिगार (पालने वाला) ख़ुदा चाहे 

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