Saturday, 18 April 2015

Sura-e-Alaq 96th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)

    सूरा-ए-अलक़
96   अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू।
96 1 उस ख़ुदा का नाम लेकर पढ़ो जिसने पैदा किया है
96 2 उसने इन्सान को जमे हुए ख़ू़न से पैदा किया है 
96 3 पढ़ो और तुम्हारा परवरदिगार (पालने वाला) बड़ा करीम (करम करने वाला) है 
96 4 जिसने क़लम के ज़रिये तालीम दी है 
96 5 और इन्सान को वह सब कुछ बता दिया है जो उसे नहीं मालूम था 
96 6 बेशक इन्सान सरकशी (बग़ावत) करता है 
96 7 कि अपने को बेनियाज़ (जिसे कोई/किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं) ख़्याल करता है 
96 8 बेशक आपके रब की तरफ़ वापसी है 
96 9 क्या तुमने उस शख़्स को देखा है जो मना करता है 
96 10 बन्दा-ए-ख़ुदा को जब वह नमाज़ पढ़ता है 
96 11 क्या तुमने देखा कि अगर वह बन्दा हिदायत पर हो 
96 12 या तक़्वे (ख़ुदा के ख़ौफ़) का हुक्म दे तो रोकना कैसा है 
96 13 क्या तुमने देखा कि अगर उस काफि़र (कुफ्ऱ करने वाले, ख़ुदा या उसके हुक्म का इन्कार करने वाले) ने झुठलाया और मुँह फेर लिया 
96 14 तो क्या तुम्हें नहीं मालूम कि अल्लाह देख रहा है 
96 15 याद रखो अगर वह रोकने से बाज़ न आया तो हम पेशानी (माथे) के बाल पकड़कर घसीटेंगे 
96 16 झूठे और ख़ताकार (ग़ल्तियां करने वाले) की पेशानी (माथे) के बाल 
96 17 फिर वह अपने हमनशीनों को बुलाए 
96 18 हम भी अपने जल्लाद फ़रिश्तों को बुलाते हैं 
96 19 देखो तुम हर्गिज़ उसकी इताअत न करना और सज्दा करके कु़र्बे ख़ुदा (ख़ुदा की क़ुर्बत) हासिल करो 

No comments:

Post a Comment