Saturday, 18 April 2015

Sura-e-Nooh 71st surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)

    सूरा-ए-नूह
71   अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू।
71 1 बेशक हमने नूह को उनकी क़ौम की तरफ़ भेजा कि अपनी क़ौम को दर्दनाक अज़ाब के आने से पहले डराओ
71 2 उन्होंने कहा ऐ क़ौम मैं तुम्हारे लिए वाजे़ह तौर पर डराने वाला हूँ
71 3 कि अल्लाह की इबादत करो उससे डरो और मेरी इताअत करो
71 4 वह तुम्हारे गुनाहों को बख़्श देगा और तुम्हें एक मुक़र्ररा (तय किये हुए) वक़्त तक बाक़ी रखेगा। अल्लाह का मुक़र्ररा (तय किया हुआ) वक़्त जब आ जायेगा तो वह टाला नहीं जा सकता है अगर तुम कुछ जानते हो
71 5 उन्होंने कहा परवरदिगार (पालने वाले) मैंने अपनी क़ौम को दिन में भी बुलाया और रात में भी
71 6 फिर भी मेरी दावत का कोई असर सिवाए इसके न हुआ कि उन्होंने फ़रार (भागना) इखि़्तयार किया
71 7 और मैंने जब भी उन्हें दावत दी कि तू उन्हें माॅफ़ कर दे तो उन्होंने अपनी उंगलियों को कानों में रख लिया और अपने कपड़े ओढ़ लिये और अपनी बात पर अड़ गये और शिद्दत (सख़्ती) से अकड़े रहे
71 8 फिर मैंने उनको अलल ऐलान (बलन्द आवाज़ के साथ) दावत दी
71 9 फिर मैंने एलान भी किया और ख़ुफि़या तौर से (छुपाकर) भी दावत दी
71 10 और कहा कि अपने परवरदिगार (पालने वाले) से अस्तग़फ़ार (गुनाहों की माफ़ी की दुआ) करो कि वह बहुत ज़्यादा बख़्शने (माफ़ करने) वाला है
71 11 वह तुम पर मूसलाधार पानी बरसायेगा
71 12 और अमवाल (माल-दौलत) व औलाद के ज़रिये तुम्हारी मदद करेगा और तुम्हारे लिए बाग़ात और नहरें क़रार देगा
71 13 आखि़र तुम्हें क्या हो गया है कि तुम ख़ुदा की अज़मत का ख़्याल नहीं करते हो
71 14 जबकि उसी ने तुम्हें मुख़्तलिफ़ (अलग-अलग) अंदाज़ में पैदा किया है 
71 15 क्या तुमने नहीं देखा कि ख़ुदा ने किस तरह तह बा तह सात आसमान बनाये हैं
71 16 और क़मर (चांद) को इनमें रौशनी और सूरज को रौशन चिराग़ बनाया है
71 17 और अल्लाह ही ने तुमको ज़मीन से पैदा किया है
71 18 फिर तुम्हें इसी में ले जायेगा और फिर नई शक्ल में निकालेगा
71 19 और अल्लाह ही ने तुम्हारे लिए ज़मीन को फ़र्श बना दिया है
71 20 ताकि तुम इसमें मुख़्तलिफ़ (अलग-अलग) कुशादा (चैड़े) रास्तों पर चलो
71 21 और नूह ने कहा कि परवरदिगार (पालने वाले) इन लोगों ने मेरी नाफ़रमानी (हुक्म न मानना) की है और उसका इत्तेबा (पैरवी) कर लिया है जो माल व औलाद में सिवाए घाटे के कुछ नहीं दे सकता है
71 22 और इन लोगों ने बहुत बड़ा मक्र किया (चालें चली) है
71 23 और लोगों से कहा है कि ख़बरदार अपने ख़ुदाओं को मत छोड़ देना और वद्द, सुवाअ़, यग़्ाू़स, यऊक़, नस्र (बुतों) को नज़रअंदाज़ न कर देना
71 24 उन्होंने बहुत सों को गुमराह कर दिया है अब तो ज़ालिमों के लिए हलाकत के अलावा कोई इज़ाफ़ा (बढ़ोतरी) न करना
71 25 ये सब अपनी ग़ल्तियों की बिना पर ग़कऱ् किये गये हैं और फिर जहन्नम में दाखि़ल कर दिये गये हैं और ख़ुदा के अलावा उन्हें कोई मददगार नहीं मिला है
71 26 और नूह ने कहा कि परवरदिगार (पालने वाले) इस ज़मीन पर काफि़रों (कुफ्ऱ करने वाले, ख़ुदा या उसके हुक्म का इन्कार करने वाले) में से किसी बसने वाले को न छोड़ना
71 27 कि तू उन्हें छोड़ देगा तो तेरे बन्दों को गुमराह करेंगे और फ़ाजिर (बदकार) व काफि़र (कुफ्ऱ करने वाले, ख़ुदा या उसके हुक्म का इन्कार करने वाले) के अलावा कोई औलाद भी न पैदा करेंगे
71 28 परवरदिगार (पालने वाले) मुझे और मेरे वाल्दैन (माँ-बाप) को और जो ईमान के साथ मेरे घर में दाखि़ल हो जायें और तमाम मोमिनीन व मोमिनात को बख़्श दे और ज़ालिमों के लिए हलाकत (बरबादी) के अलावा किसी शै में इज़ाफ़ा (बढ़ावा) न करना

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