सूरा-ए-हम्ज़ाह | ||
104 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
104 | 1 | तबाही और बर्बादी है हर तानाज़न (ताना देने वाले) और चुग़लख़ोर (शिकायत करने वाले) के लिए |
104 | 2 | जिसने माल को जमा किया और ख़ू़ब इसका हिसाब रखा |
104 | 3 | उसका ख़्याल था कि ये माल उसे हमेशा बाक़ी रखेगा |
104 | 4 | हर्गिज़ नहीं उसे यक़ीनन हुतमा में डाल दिया जायेगा |
104 | 5 | और तुम क्या जानो कि हुतमा क्या शै है |
104 | 6 | ये अल्लाह की भड़काई हुई आग है |
104 | 7 | जो दिलों तक चढ़ जायेगी |
104 | 8 | वह आग इनके ऊपर घेर दी जायेगी |
104 | 9 | लम्बे-लम्बे सुतूनों (खम्भों) के साथ |
Saturday, 18 April 2015
Sura-e-Hamzah 104th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
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