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सूरा-ए-हम्ज़ाह |
104 |
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अज़ीम और दाएमी (हमेशा
बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। |
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1 |
तबाही और बर्बादी है
हर तानाज़न (ताना देने वाले) और चुग़लख़ोर (शिकायत करने वाले) के लिए |
104 |
2 |
जिसने माल को जमा किया
और ख़ू़ब इसका हिसाब रखा |
104 |
3 |
उसका ख़्याल था कि ये
माल उसे हमेशा बाक़ी रखेगा |
104 |
4 |
हर्गिज़ नहीं उसे
यक़ीनन हुतमा में डाल दिया जायेगा |
104 |
5 |
और तुम क्या जानो कि
हुतमा क्या शै है |
104 |
6 |
ये अल्लाह की भड़काई
हुई आग है |
104 |
7 |
जो दिलों तक चढ़
जायेगी |
104 |
8 |
वह आग इनके ऊपर घेर दी
जायेगी |
104 |
9 |
लम्बे-लम्बे सुतूनों
(खम्भों) के साथ |
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