Saturday, 18 April 2015

Sura-e-Shams 91st surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)

सूरा-ए-शम्स
91 अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू।
91 1 आफ़ताब (सूरज) और उसकी रौशनी की क़सम 
91 2 और चाँद की क़सम जब वह उसके पीछे चले 
91 3 और दिन की क़सम जब वह रौशनी बख़्शे 
91 4 और रात की क़सम जब वह उसे ढाँक ले 
91 5 और आसमान की क़सम और जिसने उसे बनाया है 
91 6 और ज़मीन की क़सम और जिसने उसे बिछाया है 
91 7 और नफ़्स (जान) की क़सम और जिसने उसे दुरूस्त (ठीक) किया है 
91 8 फिर बदी (बुराई) और तक़्वा (ख़ुदा के ख़ौफ़) की हिदायत दी है 
91 9 बेशक वह कामयाब हो गया जिसने नफ़्स (जान) को पाकीज़ा बना लिया 
91 10 और वह नामुराद हो गया जिसने उसे आलूदा कर दिया है 
91 11 समूद ने अपनी सरकशी (बग़ावत) की बिना पर रसूल की तकज़ीब (झुठलाना) की 
91 12 जब उनका बदबख़्त उठ खड़ा हुआ 
91 13 तो ख़ुदा के रसूल ने कहा कि ख़ुदा की ऊँटनी और उसकी सेराबी (भूख-प्यास) का ख़्याल रखना 
91 14 तो उन लोगों ने उसकी तकज़ीब (झुठलाना) की और उसकी कोंचे काट डालीं तो ख़ुदा ने उनके गुनाह के सबब उन पर अज़ाब नाजि़ल कर दिया और उन्हें बिल्कुल बराबर कर दिया 
91 15 और उसे इसके अंजाम का कोई ख़ौफ़ (डर) नहीं है 

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