सूरा-ए-शम्स | ||
91 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
91 | 1 | आफ़ताब (सूरज) और उसकी रौशनी की क़सम |
91 | 2 | और चाँद की क़सम जब वह उसके पीछे चले |
91 | 3 | और दिन की क़सम जब वह रौशनी बख़्शे |
91 | 4 | और रात की क़सम जब वह उसे ढाँक ले |
91 | 5 | और आसमान की क़सम और जिसने उसे बनाया है |
91 | 6 | और ज़मीन की क़सम और जिसने उसे बिछाया है |
91 | 7 | और नफ़्स (जान) की क़सम और जिसने उसे दुरूस्त (ठीक) किया है |
91 | 8 | फिर बदी (बुराई) और तक़्वा (ख़ुदा के ख़ौफ़) की हिदायत दी है |
91 | 9 | बेशक वह कामयाब हो गया जिसने नफ़्स (जान) को पाकीज़ा बना लिया |
91 | 10 | और वह नामुराद हो गया जिसने उसे आलूदा कर दिया है |
91 | 11 | समूद ने अपनी सरकशी (बग़ावत) की बिना पर रसूल की तकज़ीब (झुठलाना) की |
91 | 12 | जब उनका बदबख़्त उठ खड़ा हुआ |
91 | 13 | तो ख़ुदा के रसूल ने कहा कि ख़ुदा की ऊँटनी और उसकी सेराबी (भूख-प्यास) का ख़्याल रखना |
91 | 14 | तो उन लोगों ने उसकी तकज़ीब (झुठलाना) की और उसकी कोंचे काट डालीं तो ख़ुदा ने उनके गुनाह के सबब उन पर अज़ाब नाजि़ल कर दिया और उन्हें बिल्कुल बराबर कर दिया |
91 | 15 | और उसे इसके अंजाम का कोई ख़ौफ़ (डर) नहीं है |
Saturday, 18 April 2015
Sura-e-Shams 91st surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment