Saturday, 18 April 2015

Sura-e-Tariq 86th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)

    सूरा-ए-तारिक़
86   अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू।
86 1 आसमान और रात को आने वाले की क़सम
86 2 और तुम क्या जानो कि तारिक़ क्या है
86 3 ये एक चमकता हुआ सितारा है 
86 4 कोई नफ़्स (जान) ऐसा नहीं है जिसके ऊपर निगराँ (नज़र रखने वाला) न मुअईयन किया गया हो 
86 5 फिर इन्सान देखे कि उसे किस चीज़ से पैदा किया गया है 
86 6 वह एक उछलते हुए पानी से पैदा किया गया है 
86 7 जो पीठ और सीने की हड्डियों के दरम्यान (बीच में) से निकलता है 
86 8 यक़ीनन वह ख़ुदा इन्सान के दोबारा पैदा करने पर भी क़ादिर है 
86 9 जिस दिन राज़ों को आज़माया जायेगा 
86 10 तो फिर न किसी के पास कू़व्वत (ताक़त) होगी और न मददगार (मदद करने वाला) 
86 11 क़सम है चक्कर खाने वाले आसमान की 
86 12 और शिगाफ़्ता होने (फट जाने) वाली ज़मीन की 
86 13 बेशक ये क़ौले फै़सल है 
86 14 और मज़ाक नहीं है 
86 15 ये लोग अपना मक्र कर रहे हैं 
86 16 और हम अपनी तदबीर (चारा-ए-कार) कर रहे हैं 
86 17 तो काफि़रों (कुफ्ऱ करने वाले, ख़ुदा या उसके हुक्म का इन्कार करने वाले) को छोड़ दो और उन्हें थोड़ी सी मोहलत दे दो 

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