सूरा-ए-तारिक़ | ||
86 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
86 | 1 | आसमान और रात को आने वाले की क़सम |
86 | 2 | और तुम क्या जानो कि तारिक़ क्या है |
86 | 3 | ये एक चमकता हुआ सितारा है |
86 | 4 | कोई नफ़्स (जान) ऐसा नहीं है जिसके ऊपर निगराँ (नज़र रखने वाला) न मुअईयन किया गया हो |
86 | 5 | फिर इन्सान देखे कि उसे किस चीज़ से पैदा किया गया है |
86 | 6 | वह एक उछलते हुए पानी से पैदा किया गया है |
86 | 7 | जो पीठ और सीने की हड्डियों के दरम्यान (बीच में) से निकलता है |
86 | 8 | यक़ीनन वह ख़ुदा इन्सान के दोबारा पैदा करने पर भी क़ादिर है |
86 | 9 | जिस दिन राज़ों को आज़माया जायेगा |
86 | 10 | तो फिर न किसी के पास कू़व्वत (ताक़त) होगी और न मददगार (मदद करने वाला) |
86 | 11 | क़सम है चक्कर खाने वाले आसमान की |
86 | 12 | और शिगाफ़्ता होने (फट जाने) वाली ज़मीन की |
86 | 13 | बेशक ये क़ौले फै़सल है |
86 | 14 | और मज़ाक नहीं है |
86 | 15 | ये लोग अपना मक्र कर रहे हैं |
86 | 16 | और हम अपनी तदबीर (चारा-ए-कार) कर रहे हैं |
86 | 17 | तो काफि़रों (कुफ्ऱ करने वाले, ख़ुदा या उसके हुक्म का इन्कार करने वाले) को छोड़ दो और उन्हें थोड़ी सी मोहलत दे दो |
Saturday, 18 April 2015
Sura-e-Tariq 86th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
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