सूरा-ए-क़ाफ़ | ||
50 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
50 | 1 | क़ाफ़ कु़रआन मजीद की क़सम |
50 | 2 | लेकिन उन कुफ़्फ़ार (ख़ुदा या उसके हुक्म का इन्कार करने वालों) को ताज्जुब है कि उन्हीं में से कोई शख़्स पैग़म्बर बनकर आ गया इसलिए उनका कहना ये है कि ये बात बिल्कुल अजीब है |
50 | 3 | क्या जब हम मर कर ख़ाक हो जायेंगे तो दोबारा वापस होंगे ये बड़ी बईद (नामुमकिन सी) बात है |
50 | 4 | हम जानते हैं कि ज़मीन उनके जिस्मों में से किस क़द्र कम कर देती है और हमारे पास एक महफ़ूज़ (हिफ़ाज़त के साथ) किताब मौजूद है |
50 | 5 | हक़ीक़त ये है कि उन लोगों ने हक़ के आने के बाद इसका इन्कार कर दिया है तो वह एक बेचैनी की बात में मुब्तिला (पड़े हुए) हैं |
50 | 6 | क्या उन लोगों ने अपने ऊपर आसमान की तरफ़ नहीं देखा है कि हमने उसे किस तरह बनाया है और फिर आरास्ता (सजाना) भी कर दिया है और इसमें कहीं शिगाफ़ (फटा होना) भी नहीं है |
50 | 7 | और ज़मीन को फ़र्श कर दिया है और इसमें पहाड़ डाल दिये हैं और हर तरह की ख़ू़बसूरत चीज़ें उगा दी हैं |
50 | 8 | ये ख़ुदा की तरफ़ रूजुअ करने वाले हर बन्दे के लिए सामाने नसीहत (अच्छी बातों का बयान) और वजह-ए-बसीरत (छुपी हुई बातों के इल्म का ज़रिया) है |
50 | 9 | और हमने आसमान से बाबरकत (बरकत वाला) पानी नाजि़ल किया है फिर इससे बाग़ात और खेती का ग़ल्ला उगाया है |
50 | 10 | और लम्बी लम्बी खजूरें उगाई हैं जिनके बौर आपस में गुथे हुये हैं |
50 | 11 | ये सब हमारे बन्दों के लिए रिज़्क़ का सामान है और हमने इसी पानी से मुर्दा ज़मीनों को जि़न्दा किया है और इसी तरह तुम्हें भी ज़मीन से निकालेंगे |
50 | 12 | इनसे पहले क़ौमे नूह असहाबे रस और समूद ने भी तकज़ीब (झुठलाना) की थी |
50 | 13 | और क़ौमे आद, फि़रऔन और बरादराने लूत ने भी |
50 | 14 | और असहाबे ईका (बन के रहने वालों) और क़ौमे तुब्बा ने भी और उन सबने रसूलों की तकज़ीब (झुठलाना) की तो हमारा वादा पूरा हो गया |
50 | 15 | तो क्या हम पहली खि़ल्क़त से आजिज़ (परेशान) थे हर्गिज़ (बिल्कुल) नहीं। तो फिर हक़ीक़त ये है कि ये लोग नई खि़ल्क़त की तरफ़ से शुबाह (शक) में पड़े हुए हैं |
50 | 16 | और हमने ही इन्सान को पैदा किया है और हमें मालूम है कि उसका नफ़्स (जान) क्या-क्या वसवसे (बुरे ख़याल) पैदा करता है और हम उससे रगे गर्दन (शहरग) से ज़्यादा क़रीब हैं |
50 | 17 | जबकि दो लिखने वाले इसकी हरकतों को लिख लेते हैं जो दाहिनें और बायें बैठे हुए हैं |
50 | 18 | वह कोई बात मुँह से नहीं निकालता है मगर ये कि एक निगेहबान उसके पास मौजूद रहता है |
50 | 19 | और मौत की बेहोशी यक़ीनन तारी होगी कि यही वह बात है जिससे तू भागा करता था |
50 | 20 | और फिर सूर फँूका जायेगा कि ये अज़ाब के वादे का दिन है |
50 | 21 | और हर नफ़्स (जान) को इस अंदाज़ से आना होगा कि उसके साथ हंकाने वाले और गवाही देने वाले फ़रिश्ते भी होंगे |
50 | 22 | यक़ीनन तुम उसकी तरफ़ से ग़फ़लत (बेपरवाही) में थे तो हमने तुम्हारे पर्दों को उठा दिया है और अब तुम्हारी निगाह बहुत तेज़ हो गई है |
50 | 23 | और उसका साथी फ़रिश्ता कहेगा कि ये उसका अमल मेरे पास तैयार मौजूद है |
50 | 24 | हुक्म होगा कि तुम दोनों हर नाशुक्रे (शुक्र न अदा करने वाले) सरकश (बाग़ी) को जहन्नम में डाल दो |
50 | 25 | जो ख़ैर से रोकने वाला हद से तजाविज़ करने (आगे बढ़ जाने) वाला और शुबहात (बहुत से शक) पैदा करने वाला था |
50 | 26 | जिसने अल्लाह के साथ दूसरे ख़ुदा बना दिये थे तुम दोनों उसको शदीद अज़ाब में डाल दो |
50 | 27 | फिर उसका साथी शैतान कहेगा कि ख़ुदाया मैंने इसको गुमराह नहीं किया है ये खु़द ही गुमराही में बहुत दूर तक चला गया था |
50 | 28 | इरशाद होगा कि मेरे पास झगड़ा मत करो मैं पहले ही अज़ाब की ख़बर दे चुका हूँ |
50 | 29 | मेरे पास बात में तब्दीली (बदलाव) नहीं होती है और न मैं बन्दों पर जु़ल्म करने वाला हूँ |
50 | 30 | जिस दिन हम जहन्नम से कहेंगे कि तू भर गया तो वह कहेगा कि क्या कुछ और मिल सकता है |
50 | 31 | और जन्नत को साहेबाने तक़्वा (ख़ुदा से डरने वाले लोगों) से क़रीब तर कर दिया जायेगा |
50 | 32 | ये वह जगह है जिसका वादा हर ख़ुदा की तरफ़ रूजुअ करने वाले और नफ़्स (जान) की हिफ़ाज़त करने वाले से किया जाता है |
50 | 33 | जो शख़्स भी रहमान से पसे ग़ैब (बग़ैर देखे) डरता है और उसकी बारगाह में रूजुअ (ध्यान) करने वाले दिल के साथ हाजि़र होता है |
50 | 34 | तुम सब सलामती के साथ जन्नत में दाखि़ल हो जाओ कि ये हमेशगी का दिन है |
50 | 35 | वहाँ इनके लिए जो कुछ भी चाहेंगे सब हाजि़र रहेगा और हमारे पास मज़ीद (और ज़्यादा) भी है |
50 | 36 | और इनसे पहले हमने कितनी ही क़ौमों को हलाक (बरबाद, ख़त्म) कर दिया है जो इनसे ज़्यादा ताक़तवर थीं तो उन्होंने तमाम शहरों को छान मारा था लेकिन मौत से छुटकारा कहाँ है |
50 | 37 | इस वाके़ये में नसीहत (अच्छी बातों के बयान) का सामान मौजूद है उस इन्सान के लिए जिसके पास दिल हो या खू़बसूरत क़ल्ब के साथ सुनता हो |
50 | 38 | और हमने आसमान व ज़मीन और इनके दरम्यान (बीच) की मख़्लूक़ात (पैदा की हुई चीज़ों/खि़ल्क़त) को छः दिन में पैदा किया है और हमें इस सिलसिले में कोई थकन छू भी नहीं सकी है |
50 | 39 | लेहाज़ा (इसलिये) आप इनकी बातों पर सब्र करें और तुलूऐ आफ़ातब (सूरज निकलने) से पहले और ग़्ाु़रूबे आफ़ताब (सूरज डूबने) से पहले अपने रब की तसबीह किया करें |
50 | 40 | और रात के एक हिस्से में भी उसकी तसबीह करें और सज्दों के बाद भी उसकी तसबीह (तारीफ़) किया करें |
50 | 41 | और उस दिन को ग़ौर से सुनो जिस दिन कु़दरत का मुनादी (इसराफ़ील) क़रीब ही की जगह से आवाज़ देगा |
50 | 42 | जिस दिन सदाए आसमान (आसमान की आवाज़) को सब बखू़बी सुन लेंगे और वही दिन क़ब्रों से निकलने का दिन है |
50 | 43 | बेशक हम ही मौत व हयात (जि़न्दगी) देने वाले हैं और हमारी ही तरफ़ सबकी बाज़गश्त (लौटना, वापसी) है |
50 | 44 | इसी दिन ज़मीन उन लोगों की तरफ़ से शक़ हो जायेगी (फट जाएगी) और ये तेज़ी से निकल खड़े होंगे कि ये हश्र हमारे लिए बहुत आसान है |
50 | 45 | हमें खू़ब मालूम है कि ये लोग क्या कर रहे हैं और आप इन पर जब्र (ज़बरदस्ती) करने वाले नहीं हैं आप कु़रआन के ज़रिये उन लोगों को नसीहत (अच्छी बातों का बयान) करते रहें जो अज़ाब से डरने वाले हैं |
Thursday, 16 April 2015
Sura-e-Qaaf 50th sura of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
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