Saturday, 18 April 2015

Sura-e-Nazeaat 79th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)

    सूरा-ए-नाज़ेआत
79   अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू।
79 1 क़सम है उनकी जो डूब कर खींच लेने वाले हैं
79 2 और आसानी से खोल देने वाले हैं 
79 3 और फि़जा में पैरने वाले हैं 
79 4 फिर तेज़ रफ़्तारी से सब्क़त (जल्दी, पहल) करने वाले हैं 
79 5 फिर उमूर का इन्तिज़ाम करने वाले हैं 
79 6 जिस दिन ज़मीन को झटका दिया जायेगा 
79 7 और इसके बाद दूसरा झटका लगेगा 
79 8 इस दिन दिल लरज़ (कांप) जायेंगे 
79 9 आँखे ख़ौफ़ (डर) से झुकी होंगी 
79 10 ये कुफ़्फ़ार (ख़ुदा या उसके हुक्म का इन्कार करने वाले) कहते हैं कि क्या हम पलटकर फिर इस दुनिया में भेजे जायेंगे 
79 11 क्या जब हम ख़ोख़ली हड्डियाँ हो जायेंगे तब 
79 12 ये तो बड़े घाटे वाली वापसी होगी 
79 13 ये क़यामत तो बस एक चीख़ होगी 
79 14 जिसके बाद सब मैदाने हश्र में नज़र आयेंगे 
79 15 क्या तुम्हारे पास मूसा की ख़बर आयी है 
79 16 जब उनके रब ने उन्हें तुवा की मुक़द्दस वादी में आवाज़ दी 
79 17 फि़रऔन की तरफ़ जाओ वह सरकश हो गया है 
79 18 उससे कहो क्या ये मुमकिन है तू पाकीज़ा किरदार हो जाये 
79 19 और मैं तुझे तेरे रब की तरफ़ हिदायत करूँ और तेरे दिल में ख़ौफ़ (डर) पैदा हो जाये 
79 20 फिर उन्होंने उसे अज़ीम निशानी दिखलायी 
79 21 तो उसने इन्कार कर दिया और नाफ़रमानी (हुक्म न मानना) की 
79 22 फिर मुँह फेरकर दौड़ धूप में लग गया 
79 23 फिर सबको जमा किया और आवाज़ दी 
79 24 और कहा कि मैं तुम्हारा रब्बे आला (सबसे बड़ा रब) हूँ 
79 25 तो ख़ुदा ने उसे दुनिया व आखि़रत दोनों के अज़ाब की गिरफ़्त (पकड़) में ले लिया 
79 26 इस वाक़ये में ख़ौफ़े ख़ु़दा (ख़ुदा का डर) रखने वालों के लिए इबरत (ख़ौफ़ के साथ सबक़) का सामान है 
79 27 क्या तुम्हारी खि़ल्क़त आसमान बनाने से ज़्यादा मुश्किल काम है कि उसने आसमान को बनाया है 
79 28 उसकी छत को बलन्द किया और फिर बराबर कर दिया है 
79 29 उसकी रात को तारीक बनाया है और दिन की रौशनी निकाल दी है 
79 30 इसके बाद ज़मीन का फ़र्श बिछाया है 
79 31 उसमें से पानी और चारा निकाला है 
79 32 और पहाड़ों को गाड़ दिया है 
79 33 ये सब तुम्हारे और जानवरों के लिए एक सरमाया है 
79 34 फिर जब बड़ी मुसीबत आ जायेगी 
79 35 जिस दिन इन्सान याद करेगा कि उसने क्या किया है 
79 36 और जहन्नम को देखने वालों के लिए नुमायाँ (ज़ाहिर) कर दिया जायेगा 
79 37 जिसने सरकशी (बग़ावत) की है 
79 38 और जि़न्दगानी दुनिया को इखि़्तयार किया है 
79 39 जहन्नम उसका ठिकाना होगा
79 40 और जिसने रब की बारगाह में हाज़री (हाजि़र होने) का ख़ौफ़ (डर) पैदा किया है और अपने नफ़्स (जान) को ख़्वाहिशात (दुनियावी तमन्नाओं) से रोका है
79 41 तो जन्नत उसका ठिकाना और मरकज़ है 
79 42 पैग़म्बर लोग आपसे क़यामत के बारे में पूछते हैं कि उसका ठिकाना कब है 
79 43 आप उसकी याद के बारे में किस मंजि़ल पर हैं 
79 44 उसके इल्म की इन्तिहा आपके परवरदिगार (पालने वाले) की तरफ़ है 
79 45 आप तो सिर्फ़ उसका ख़ौफ़ (डर) रखने वालों को उससे डराने वाले हैं 
79 46 गोया (जैसे कि) जब वह लोग उसे देखेंगे तो ऐसा मालूम होगा जैसे एक शाम या एक सुबह दुनिया में ठहरे हैं 

No comments:

Post a Comment