Saturday, 18 April 2015

Sura-e-Aala 87th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)

    सूरा-ए-आला
87   अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू।
87 1 अपने बलन्द तरीन (सबसे बलन्द) रब के नाम की तसबीह करो 
87 2 जिसने पैदा किया है और दुरूस्त (ठीक-ठीक) बनाया है 
87 3 जिसने तक़दीर मुअईयन (तय) की है और फिर हिदायत दी है 
87 4 जिसने चारा बनाया है 
87 5 फिर उसे ख़ु़श्क करके (सुखाकर) स्याह (काले) रंग का कूड़ा बना दिया है 
87 6 हम अनक़रीब (बहुत जल्द) तुम्हें इस तरह पढ़ायेंगे कि भूल न सकोगे 
87 7 मगर ये कि ख़ुदा ही चाहे कि वह हर ज़ाहिर और मख़्फ़ी (छुपी) रहने वाली चीज़ को जानता है 
87 8 और हम तुमको आसान रास्ते की तौफ़ीक़ देंगे 
87 9 लेहाज़ा (इसलिये) लोगों को समझाओ अगर समझाने का फ़ायदा हो 
87 10 अनक़रीब (बहुत जल्द) ख़ौफ़े ख़ु़दा (ख़ुदा का डर) रखने वाला समझ जायेगा 
87 11 और बदबख़्त उससे किनाराकशी (दूरी अपनाना) करेगा 
87 12 जो बहुत बड़ी आग में जलने वाला है 
87 13 फिर न उसमें जि़न्दगी है न मौत 
87 14 बेशक पाकीज़ा रहने वाला कामयाब हो गया 
87 15 जिसने अपने रब के नाम की तसबीह की और फिर नमाज़ पढ़ी 
87 16 लेकिन तुम लोग जि़न्दगानी दुनिया को मुक़द्दम रखते हो 
87 17 जबकि आखि़रत बेहतर (ज़्यादा अच्छी) और हमेशा रहने वाली है 
87 18 ये बात तमाम पहले सहीफ़ों में भी मौजूद है 
87 19 इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) के सहीफ़ों में भी और मूसा (अलैहिस्सलाम) के सहीफ़ांे में भी 

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