सूरा-ए-माऊन | ||
107 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
107 | 1 | क्या तुमने उस शख़्स को देखा है जो क़यामत को झुठलाता है |
107 | 2 | ये वही है जो यतीम को धक्के देता है |
107 | 3 | और किसी को मिसकीन (मोहताज) के खाने के लिए तैयार नहीं करता है |
107 | 4 | तो तबाही है उन नमाजि़यों के लिए |
107 | 5 | जो अपनी नमाज़ों से ग़ाफि़ल रहते हैं |
107 | 6 | दिखाने के लिए अमल करते हैं |
107 | 7 | और मामूली जु़रूफ़ (आम ज़रूरत की चीज़) भी आरियत (मांगने) पर देने से इन्कार करते हैं |
Saturday, 18 April 2015
Sura-e-Maoon 107th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
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