सूरा-ए-नास | ||
114 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
114 | 1 | ऐ रसूल कह दीजिए के मैं इन्सानों के परवरदिगार (पालने वाले) की पनाह चाहता हूँ |
114 | 2 | जो तमाम लोगों का मालिक और बादशाह है |
114 | 3 | सारे इन्सानांे का माबूद (इबादत के क़ाबिल) है |
114 | 4 | शैतानी वसवास (वहम, ख़ौफ़ के ख़याल) के शर (बुराई) से जो नामे ख़ुदा सुनकर पीछे हट जाता है |
114 | 5 | और जो लोगों के दिलों में वसवसे (वहम, ख़ौफ़ के ख़याल) पैदा करता है |
114 | 6 | वह जिन्नात में से हो या इन्सानों में से |
Saturday, 18 April 2015
Sura-e-Naas 114th surah of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.)
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