सूरा-ए-माएदा | ||
5 | शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा रहमान और रहीम है। | |
5 | 1 | ईमान वालों अपने अहद व पैमान (इक़रार) और मामलात की पाबन्दी करो। तुम्हारे लिए चैपाए जानवर हलाल कर दिये गये हैं अलावा उनके जो तुम्हें पढ़कर सुनाए जाएंगे मगर हालते अहराम (हज के दौरान) में शिकार को हलाल मत समझ लेना बेशक अल्लाह जो चाहता हुक्म देता है |
5 | 2 | ईमान वालों! ख़बरदार ख़ु़दा की निशानियों की हुर्मत को ज़ाया (बरबाद) न करना और न मोहतरम महीने की क़ु़र्बानी और न जानवर की और जिन जानवरों के गले में पट्टे बांध दिये गये हैं (हज की क़ुर्बानी के लिए) और जो लोग ख़ानए ख़ु़दा के तवाफ़ का इरादा करने वाले हैं और फ़जऱ्े (फ़ज़्ले) परवरदिगार और रिज़ाए इलाही (अल्लाह की रिज़ा) के तलबगार (चाहने वाले) हैं उनकी हुर्मत की खि़लाफ़ वजऱ्ी न करना और जब एहराम खोल दो तो शिकार कर सकते हो और ख़बरदार किसी क़ौम (क़बीले) की अदावत फ़क़त इस बात पर कि उसने तुम्हें मस्जिदुल हराम न जाने से रोक दिया है तुम्हें ज़्ाुल्म पर आमादा न कर दे। तुम्हारा तो फ़र्ज़ है कि नेकी और तक़वा पर एक दूसरे की मदद करो और गुनाह और ताद्दी (ज़्यादती) पर किसी की मदद न करना और अल्लाह से डरते रहना कि उसका अज़ाब बहुत सख़्त है |
5 | 3 | तुम्हारे ऊपर हराम कर दिया गया है मुरदार, (मुरदा जानवर) ख़ून, सूअर का गोश्त और जो जानवर गै़रे ख़ु़दा के नाम पर जि़बह (हलाल) किया जाये और गर्दन मरोड़ा हुआ और लकड़ी से मारा हुआ और बुलन्दी से गिर कर मरा हुआ और जानवर के सींघ से मरा हुआ और जिसको दरिन्दे ने फाड़ खाया हो मगर ये कि तुम ख़ुद जि़बह कर लो और जो निसाब पर जि़बह किया जाये और जिसकी जुए वाले तीरों के ज़रिये कु़रआनदाज़ी करो कि ये सब फि़स्क़ (बदकिरदारी) है और कुफ़्फ़ार तुम्हारे दीन से मायूस हो गये हैं लेहाज़ा तुम उनसे न डरो और मुझ से डरो। आज मैंने तुम्हारे दीन को कामिल कर दिया है और तुम पर अपनी नेअमतों को तमाम कर दिया और तुम्हारे लिए दीने इस्लाम को पसन्द कर लिया है लेहाज़ा जो शख़्स भूख में मजबूर हो जाये और गुनाह की तरफ़ मायल न हो तो यक़ीनन ख़ु़दा बख़्शने वाला बड़ा मेहरबान है |
5 | 4 | पैग़म्बर ये लोग तुम से सवाल करते हैं कि इनके लिये क्या हलाल किया गया है तो कह दीजिए कि तुम्हारे लिए तमाम पाकीज़ा चीज़ें हलाल हैं और जो कुछ तुमने शिकारी जानवरों को सिखा रखा है और ख़ुदाई तालीम में से कुछ उनको भी सिखा दिया है तो जो कुछ वह पकड़ के लायें उसे बे झिझक खा लो और (जानवरों को छोड़ते वक़्त) उस पर नामे ख़ु़दा ज़रूर ले लिया करो और अल्लाह से डरो कि वह बहुत जल्द हिसाब करने वाला है |
5 | 5 | आज तुम्हारे लिए तमाम पाकीज़ा चीज़ें हलाल कर दी गई हैं और अहले किताब का तआम (खाना) भी तुम्हारे लिए हलाल है और तुम्हारा तआम (खाना) उनके लिए हलाल है और अहले ईमान (ईमान वाले) की आज़ाद और पाक दामन औरतें या उनकी आज़ाद पाक दामन औरतें जिनको तुम से पहले किताब दी गई है तुम्हारे लिए हलाल हैं बशर्त ये कि तुम उनकी मेहर दे दो पाकदामनी के इरादे के साथ। न तो खु़ल्लम खु़ल्ला जि़नाकारी का और न पोशीदा (चोरी छुपे तौर पर) आशनाई के अंदाज़ से और जो भी ईमान से इन्कार करेगा उसके आमाल (सब किया धरा) यक़ीनन बर्बाद हो जायेंग और वह आखि़रत में घाटा उठाने वालों में होगा |
5 | 6 | ऐ ईमान वालों जब भी नमाज़ के लिए उठो तो पहले अपने चेहरों और कोहनियांे तक अपने हाथों को धो लिया करो और अपने सिर और गट्टे तक पैरों का मसा कर लिया करो और अगर जनाबत (नजासत) की हालत में हो तो गु़स्ल करो और अगर मरीज़ हो या सफ़र के आलम में हो या पैख़ाना वगै़रह निकल आया है या औरतों से हम बिस्तरी की हो और पानी न मिले तो पाक मिट्टी से तयम्मुम कर लो। इस तरह कि सूखी मिटटी पर दोनो हाथ मार कर उससे अपने चेहरे और हाथों का मसा कर लो कि ख़ु़दा तुम्हारे लिए किसी तरह की ज़हमत नहीं चाहता, बल्कि ये चाहता है कि तुम्हें पाक व पाकीज़ा बना दे और तुम पर अपनी नेअमत को तमाम कर दे ताकि तुम इस तरह उसके शुक्रगुज़ार बन जाओ |
5 | 7 | और अपने ऊपर अल्लाह की नेअमत और उसके अहद को याद करो जो पक्का इक़रार तुम से ले चुका हैै जब तुमने कहा था कि हमने (एहकामे ख़ुदा को) सुन लिया और इताअत (दिल से मान लिया) की और ख़बरदार अल्लाह से डरते रहो कि अल्लाह दिल के राज़ों का भी जानने वाला है |
5 | 8 | ईमान वालों ख़ु़दा की ख़ुशनूदी के लिए क़ेयाम करने वाले और इन्साफ़ के साथ गवाही देने वाले बनो और ख़बरदार किसी क़ौम की अदावत तुम्हंे इस बात पर आमादा न कर दे कि इन्साफ़ को तर्क कर दो। हर हाल में इन्साफ़ करो कि यही तक़वे (परहेज़गारी) से क़रीब तर है और अल्लाह से डरते रहो कि अल्लाह तुम्हारे आमाल से ख़ूब बाख़बर है |
5 | 9 | अल्लाह ने साहेबाने ईमान और अमले सालेह (अच्छे अच्छे काम करने) वालों से वादा किया है कि उनके लिए आखि़रत में मग़फि़रत (बखि़्शश) और अजे्र अज़ीम है |
5 | 10 | और जिन लोगों ने कुफ्ऱ इखि़्तयार किया और हमारी आयात की तकज़ीब की (झुठलाया) वह सबके सब जहन्नुमी हैं |
5 | 11 | ईमान वालों! अपने ऊपर अल्लाह की उस नेअमत को याद करो कि जब एक क़ौम ने तुम्हारी तरफ़ हाथ बढ़ाने का इरादा किया तो ख़ु़दा ने उनके हाथों को तुम तक पहुंचने से रोक दिया और अल्लाह से डरते रहो कि साहेबाने ईमान अल्लाह ही पर भरोसा करते हैं |
5 | 12 | और बेशक अल्लाह ने बनी इसराईल से भी अहद लिया, और हमने उनमें से बारह नक़ीब (सरदार) भेजे और ख़ु़दा ने ये भी कह दिया कि हम तुम्हारे साथ हैं अगर तुम पाबंदी से नमाज़ पढ़ते रहे और ज़कात करते रहे और हमारे रसूलों पर ईमान ले आओ और उनकी मदद करते रहो और ख़ु़दा की राह में क़जऱ्े हसना देते रहो हम यक़ीनन तुम्हारी बुराईयांे से दरगुज़र करेंगे और तुम्हें उन बाग़ात मंें दाखि़ल करेंगे जिनके नीचे नहरें जारी होंगी। फिर जो इसके बाद भी इंकार करेगा तो वह (राहे रास्त) से भटक गया है |
5 | 13 | फिर उनकी अहद शिकनी की बिना पर हमने उन पर लाॅनत की और उनके दिलांे को सख़्त बना दिया वह हमारे कलेमात को उनकी जगह से हटा देते हैं और दूसरे माअनी में इस्तेमाल करते हैं जिन-जिन बातों की नसीहत की गई थी उसका बड़ा हिस्सा फ़रामोश (भुला दिया) कर दिया है और तुम उनकी ख़यानतों पर बराबर मतला होते रहोे अलावा चन्द अफ़राद के लेहाज़ा उनसे दरगुज़र करो (क़ुसूर माफ़ कर दो) और उनकी तरफ़ से किनाराकशी करो कि अल्लाह एहसान करने वालों को दोस्त रखता है |
5 | 14 | और जिन लोगों का कहना है कि हम नसरानी हंैं हमने उनसे भी अहद लिया था और उन्हांेने भी हमारी नसीहत (इंजील) के एक बड़े हिस्से को फ़रामोश कर (भुला) दिया तो हमने बतौर सज़ा उनके दरम्यान अदावत और बुग्ज़ को क़यामत तक के लिए रास्ता (आरास्ता कर) दे दिया और अनक़रीब (क़यामत के दिन) ख़ु़दा उन्हें बता देगा कि वह क्या काम अंजाम देते थे |
5 | 15 | ऐ अहले किताब तुम्हारे पास हमारा रसूल (मुहम्मद स0) आ चुका है जो उनमें से बहुत सी बातों की वज़ाहत (साफ़-साफ़) कर रहा है जिनको तुम किताबे ख़ु़दा में से छिपा रहे थे और बहुत सी बातों से दरगुज़र भी करता है तुम्हारे पास ख़ु़दा की तरफ़ से नूर और रौशन किताब आ चुकी है |
5 | 16 | जिसके ज़रिये ख़ु़दा अपनी ख़ुुशनूदी का इत्तेबा करने वालों को सलामती के रास्तों की हिदायत करता है और उन्हें कुफ्ऱ की तारीकियों (अंधेरों) से निकाल कर अपने हुक्म से नूर (ईमान की रौशनी) की तरफ़ ले आता है और उन्हें सिराते मुस्तक़ीम की हिदायत करता है |
5 | 17 | यक़ीनन वह लोग काफि़र हैं जिनका कहना है कि मसीह इब्ने मरियम ही अल्लाह हैं। पैग़म्बर आप उनसे पूछो तो भला कि फिर ख़ु़दा के मुक़ाबले में कौन किसी अम्र का साहेबे इखि़्तयार (जिसका ख़ुदा से ज़ोर चले) अगर वह मसीह बिन मरियम और उनकी माँ और सारे अहले ज़मीन को मार डालना चाहे। अल्लाह ही की ज़मीन व आसमान और उनके दरम्यान की कुल हुकूमत है। वह जिसे चाहता है पैदा करता है और वह हर शय पर कु़दरत रखने वाला है |
5 | 18 | यहूदियों और नसरानियों ने ये कहना शुरू कर दिया कि हम अल्लाह के फ़रज़न्द और उसके दोस्त (चहीते) हैं तो पैग़म्बर आप कह दीजिए कि फिर ख़ु़दा तुम पर तुम्हारे गुनाहों की बिना पर अज़ाब क्यों करता है, बल्कि तुम उसकी मख़्लूक़ात में से बशर (इन्सान) हो और वह जिसको चाहता है बख़्श देता है और जिस पर चाहता है अज़ाब करता है और उसी की ज़मीन व आसमान और उनके दरम्यान की कुल कायनात है और उसी की तरफ़ सबकी बाज़गश्त (जाना) है |
5 | 19 | ऐ किताब वालों तुम्हारे पास रसूलों की आमद में काफ़ी ताख़ीर के बाद हमारा ये रसूल आया है जो एहकामेे ख़ुदा को साफ़ साफ़ बयान करता है अब तुम ये न कहो कि हमारे पास कोई ख़ुशख़बरी देने वाला न अज़ाब से डराने वाला (बशीर व नज़ीर) नहीं आया था तो लो ये बशीर व नज़ीर आ गया है और ख़ु़दा तो हर चीज़ पर क़ादिर है |
5 | 20 | (ऐ रसूल) उस वक़्त को याद दिलाओ जब मूसा ने अपनी क़ौम से कहा कि ऐ मेरी क़ौम अपने ऊपर अल्लाह की नेअमतों को याद करो जब उसने तुम में से अम्बिया बनाए और तुम्ही लोगो को बादशाह भी बनाया और तुम्हें वह सब कुछ दे दिया जो आलमीन (सारी दुनिया) में किसी को नहीं दिया। |
5 | 21 | और ऐ मेरी क़ौम उस (शाम की) मुक़द्दस ज़मीन में दाखि़ल हो जाओ जहाॅं अल्लाह ने तुम्हारे लिए हुकूमत लिख दिया है और मैदाने जंग से उलटे पाँव न पलट जाओ कि उल्टे ख़सारा वालों में से हो जाओगे |
5 | 22 | उन लोगों ने कहा कि मूसा वहां तो जाबिर (सरकश) लोग आबाद है और हम उस वक़्त तक दाखि़ल न होंगे जब तक वह वहां से निकल न जायंेगे फिर अगर वह निकल गये तो हम यक़ीनन ज़रूर जायेंगे |
5 | 23 | मगर दो इन्सान जिन्हें ख़ु़दा का ख़ौफ़ था और उन पर ख़ु़दा ने भी फ़ज़्ल व करम किया था उन्होंने (बे धड़क) कहा कि उन पर हमला करके (बैतुल मुक़द्दस के फ़ाटक में घुस पड़ो वो ऐसे बोदे हैं कि भाग निकलेगें) और तुम यक़ीनन ग़ालिब आ जाओगे और अल्लाह पर भरोसा करो अगर साहेबाने ईमान हो |
5 | 24 | उन लोगांे ने कहा कि ऐ मूसा हम तो हर्गिज़ वहां दाखि़ल न होंगे जब तक वह लोग वहां हैं। आप अपने परवरदिगार के साथ जाकर जंग कीजिए हम यहीं बैठे हुए हैं |
5 | 25 | मूसा ने कहा परवरदिगार (तू ख़ूब वाकि़फ़ है) मैं सिर्फ़ अपनी ज़ात और अपने भाई पर इखि़्तयार रखता हूँ लेहाज़ा हमारे और इस फ़ासिक़ (गुमराह) क़ौम के दरम्यान जुदाई पैदा कर दे |
5 | 26 | (ख़ुदा का) इरशाद हुआ कि अब इन पर चालीस साल हराम कर दिये गये कि ये ज़मीन में चक्कर लगाते रहेंगे (और इनको हुकूमत नसीब न होगी) लेहाज़ा तुम इस फ़ासिक़ क़ौम पर अफ़सोस न करना |
5 | 27 | और पैग़म्बर आप इनको आदम के दोनों फ़रज़न्दों (हाबील-क़ाबील) का सच्चा कि़स्सा पढ़कर सुनाईये कि जब दोनांे ने कु़र्बानी दी और एक की कु़र्बानी कु़बूल हो गई और दूसरे की न हुई तो उसने (क़ाबील ने) कहा कि मैं तुझे (ज़रूर) क़त्ल कर दूंगा तो दूसरे (हाबील) ने जवाब दिया कि इसमें मेरा क्या कु़सूर है ख़ु़दा सिर्फ़ साहेबाने तक़वा (परहेज़गारों) की नज़्र को कु़बूल करता है |
5 | 28 | अगर आप मेरी तरफ़ क़त्ल के लिए हाथ बढ़ायंेगे भी तो मैं आपकी तरफ़ हर्गिज़ हाथ न बढ़ाऊँगा कि मैं आलमीन (तमाम दुनिया) के पालने वाले ख़ु़दा से ज़रूर डरता हूँ |
5 | 29 | मैं चाहता हूँ कि आप मेरे और अपने दोनांे के गुनाहों का मरकज़ बन जाईये और जहन्नुमियों में शामिल हो जाईये कि ज़ालेमीन की यही सज़ा है |
5 | 30 | फिर उसके नफ़्स ने उसे अपने भाई के क़त्ल पर आमादा कर दिया और उसने उसे क़त्ल कर दिया और वह ख़सारा उठाने वालों में शामिल हो गया |
5 | 31 | (तब उसे फि़क्र हुई कि लाश को क्या करे) फिर ख़ु़दा ने एक कौव्वा भेजा जो ज़मीन खोद रहा था कि उसे दिखलाये कि भाई कि लाश को किस तरह छिपायेगा तो उसने कहा कि अफ़सोस मैं इस कौव्वे के जैसा भी न हो सका कि अपने भाई की लाश को ज़मीन में छिपा देता और इस तरह वह (अपनी हरकत पर) नादिम और पशेमान हुआ और बहुत पछताया |
5 | 32 | इसी बिना (सबब) से हमने बनी इसराईल पर लिख (वाजिब कर) दिया कि अगर कोई शख़्स किसी के नफ़्स (जान) को, किसी नफ़्स (जान) के बदले या रूए ज़मीन में फ़साद की सज़ा के अलावा क़त्ल कर डालेगा तो उसने गोया सारे इन्सानों को क़त्ल कर दिया और जिसने एक नफ़्स (जान) को जि़न्दगी दे दी उसने गोया सारे इन्सानों को जि़न्दगी दे दी और बनी इसराईल के पास हमारे रसूल खुली हुई निशानियां (मोजिज़े) लेकर आये मगर इसके बाद भी उनमें अकसर लोग ज़मीन में ज़्यादतियां करने वाले ही रहे |
5 | 33 | बस ख़ु़दा व रसूल से जंग करने वाले और ज़मीन में फ़साद करने (फैलाने) वालों की सज़ा यही है कि उन्हंे (चुन-चुन कर) क़त्ल कर दिया जाये या सूली पर चढ़ा दिया जाये या उनके हाथ और पैर मुख़्तलिफ़ सिम्त (एक तरफ़ का हाथ और दूसरी तरफ़ का पाॅंव) से क़ेता (काट) कर दिये जायंे या उन्हें अजेऱ् वतन (वतन की ज़मीन) से निकाल बाहर किया जाये। ये तो उनके लिए दुनिया में रूसवाई है और उनके लिए आखि़रत में अज़ाबे अज़ीम (बहुत बड़ा अज़ाब) है |
5 | 34 | अलावा उन लोगों के जो तुम्हारे क़ाबू में आने से पहले ही तौबा कर लें तो (उनका गुनाह बख़्श दिया जाएगा) समझ लो कि ख़ु़दा बख़्शने वाला बड़ा मेहरबान है |
5 | 35 | ईमान वालों अल्लाह से डरो उस तक पहुंचने का वसीला तलाश करो और उसकी राह में जेहाद करो कि शायद इस तरह कामयाब हो जाओ |
5 | 36 | यक़ीनन जिन लोगांे ने कुफ्ऱ इखि़्तयार किया अगर उनके पास सारी ज़मीन का सरमाया (मालो दौलत) हो और इतना ही और शामिल कर दें कि रोज़े क़यामत के अज़ाब का बदला हो जाये तो ये मुआवज़ा कु़बूल न किया जायेगा और उनके लिए दर्दनाक अज़ाब होगा |
5 | 37 | ये लोग चाहते हैं कि जहन्नुम से निकल (भागें) जायें हालांकि ये निकलने वाले नहीं (निकल नहीं सकते) हैं और इनके लिए मुस्तकि़ल (हमेशा का) अज़ाब है |
5 | 38 | और चोर मर्द हो या औरत दोनांे के (दाहिना) हाथ काट दो कि ये उनके लिए बदला और ख़ु़दा की तरफ़ से सज़ा है और ख़ु़दा साहेबे इज़्ज़त भी है और साहेबे हिकमत भी है |
5 | 39 | फिर ज़्ाुल्म के बाद जो शख़्स तौबा कर ले और अपनी इस्लाह कर ले तो ख़ु़दा उसकी तौबा कु़बूल कर लेगा कि अल्लाह बड़ा बख़्शने वाला और मेहरबान है |
5 | 40 | क्या तुमको नहीं मालूम कि ज़मीन व आसमान में सिर्फ़ ख़ु़दा ही की हुकूमत है वह जिस पर चाहता है अज़ाब करता है और जिसको चाहता है बख़्श (माफ़ कर) देता है और अल्लाह हर चीज़ पर क़ादिर (क़ुदरत रखने वाला) व मुख़्तार (मालिक) है |
5 | 41 | ऐ रसूल ईमान का दावा करने वालों में जो लोग कुफ्ऱ की तरफ तेज़ी से बढ़ जाते हैं उनके हरकात से आप रंजीदा न हों। ये सिर्फ़ ज़बान से ईमान का नाम लेते हैं और उनके दिल में ईमान नहीं हैं और यहूदियों में से भी बाॅज़ ऐसे हैं जो (जासूसी के लिए) झूठी बातें ग़ौर से सुनते हैं और (काफि़रों में) दूसरी क़ौम वाले जो आपके पास अभी हाजि़र नहीं हुए उन्हें सुनाते हैं। ये लोग (तौरेत के) कलेमात को (असली माने जानते हुए भी) उनकी जगह से हटा देते हैं (मानी बदल देते हैं) और लोगांे से कहते हैं कि अगर पैग़म्बरे इस्लाम की तरफ़ से भी यही हुक्म दिया जाये तो ले लेना और अगर ये न दिया जाये तो परहेज़ करना और जिस के फि़तने के (बरबादी के) बारे में ख़़्ाु़दा इरादा कर ले उसके बारे में आप का कोई इखि़्तयार नहीं है ये वह अफ़राद (लोग) हैं जिनके बारे में ख़ु़दा ने इरादा ही नहीं किया कि इनके दिलों को गुनाह से पाक कर दे, इनके लिए दुनिया में भी रूसवाई है और आखि़रत में भी अज़ाबे अज़ीम है |
5 | 42 | ) ये झूठ के सुनने वाले और हराम के खाने वाले (हराम ख़ोर) हैं लेहाज़ा अगर आपके पास मुक़दमा (मामला) लेकर आयें तो आपको इखि़्तयार है कि फ़ैसला कर दें या आराज़ (कनारा कशी) कर लें कि अगर आराज़ भी कर लेंगे तो ये आप को कोई नुक़सान न पहुंचा सकेंगे लेकिन अगर फ़ैसला ही करें तो इन्साफ़ के साथ करें कि ख़ु़दा इन्साफ़ करने वालों को दोस्त रखता है |
5 | 43 | और ये किस तरह आपसे फ़ैसला करायेंगे जबकि इनके पास ख़ुद तौरेत मौजूद है जिसमें हुक्मे ख़ु़दा भी है और ये इसके बाद भी आप के हुक्म से मुकर जाते हैं और सच तो यह है कि ये ईमानदार नहीं हैं |
5 | 44 | बेशक हमने तौरेत को नाजि़ल किया है जिसमें हिदायत और नूर है और इसके ज़रिये इताअत गुज़ार अम्बिया यहूदियांे को हुक्म देते रहे और अल्लाह वाले और ओलमाए यहूद भी उसी से फ़ैसला करते थे जिसके वह मुहाफि़ज भी बनाये गये थे और जिसके वो गवाह भी थे लेहाज़ा तुम इन लोगों से ज़रा भी न डरो सिर्फ़ हमसे ही डरो और ख़बरदार थोड़ी सी क़ीमत के लिए हमारी आयातों का सौदा न करना और जो भी हमारे नाजि़ल किये हुए क़ानून के मुताबिक़ फ़ैसला न करेगा तो ऐसे ही लोग काफि़र हैं |
5 | 45 | और हमने तौरेत में भी ये हुक्म दिया है कि जान का बदला जान और आँख का बदला आँख और नाक का बदला नाक और कान का बदला कान और दांत का बदला दांत और ज़ात का बदला ज़ात है और जख़्मों का भी बदला लिया जायेगा अब अगर कोई शख़्स माॅफ़ कर दे तो ये उसके गुनाहों का कफ़्फ़ारा हो जायेगा और जो भी ख़ु़दा के नाजि़ल कर्दा हुक्म के खि़लाफ़ फ़ैसला करेगा वह काफि़रों में से शुमार होगा |
5 | 46 | और हमने उन्हें (हज़रत ईसा को) अम्बिया के नक़्शे क़दम पर ईसा बिन मरियम को चलाया जो उनके सामने पहले से मौजूद तौरेत की तस्दीक़ करते थे और हमने उन्हें इंजील (भी) अता की जिसमें हिदायत और नूर था और वह इस किताब तौरेत की तस्दीक़ व हिदायत करने वाली थी और साहेबाने तक़वा (परहेज़गारों) के लिए हिदायत व नसीहत थी |
5 | 47 | अहले इंजील (नसारा) को चाहिए कि ख़ु़दा ने जो हुक्म नाजि़ल किया है उसके मुताबिक़ फ़ैसला करंे कि जो भी तन्ज़ीले ख़ु़दा (आसमानी एहकाम) के मुताबिक़ फै़सला न करेगा वह फ़ासिक़ांे (बदकार) में शुमार होगा |
5 | 48 | और ऐ पैग़म्बर हमने आप की तरफ़ बरहक़ किताब नाजि़ल की है जो अपने पहले की तौरेत और इंजील की मुस्दक़ (तस्दीक़ करने वाली है) और मुहाफि़ज़ (भी) है लेहाज़ा आप इनके दरम्यान तन्ज़ीले ख़ु़दा (जो कुछ आप पर नाजि़ल हुआ) के मुताबिक़ फ़ैसला करें और ख़ु़दा की तरफ़ से आये हुए हक़ से अलग होकर उन लोगों की ख़्वाहिशात का इत्तेबा (पैरवी) न करें। हमने सबके लिए (ज़रूरत के तहत) अलग-अलग शरीयत और रास्ता मुक़र्रर किया है और ख़ु़दा चाहता तो सबको एक ही (शरीयत की) उम्मत बना देता लेकिन वह अपने दिये हुए क़ानून से तुम सब की आज़माईश करना चाहता है लेहाज़ा तुम सब नेकियों की तरफ़ सबक़त (पहल) करो कि तुम सबकी बाज़गश्त अल्लाह ही की तरफ़ (लौटना) है। वहां वह तुम्हें उन तमाम बातों से बा-ख़बर करेगा जिनमें तुम इखि़्तलाफ़ करते थे |
5 | 49 | और ऐ पैग़म्बर आप उनके दरम्यान तन्ज़ीले ख़ु़दा के मुताबिक़ फै़सला करें और इनके ख़्वाहिशात का इत्तेबा (पैरवी) न करें और इस बात से बचते रहें कि ये बाॅज़ एहकाम इलाही से आप को भटका दें। फिर अगर ये लोग ख़ुद मुन्हरिफ़ हो जायें तो याद रखें कि ख़ु़दा इनको इनके बाॅज़ गुनाहों की बिना पर मुसीबत में मुब्तिला करना चाहता है और इन्सानांे की अकसरीयत (ज़्यादातार लोग) फ़ासिक़ और दायरे इताअत से ख़ारिज है |
5 | 50 | क्या ये लोग जाहिलियत (के ज़माने) का हुक्म चाहते हैं जबकि साहेबाने यक़ीन के लिए अल्लाह के फै़सले से बेहतर किसका फ़ैसला हो सकता है |
5 | 51 | ईमान वालों यहूदियों और ईसाईयांे को अपना दोस्त और सरपरस्त न बनाओ (क्योंकि ये तुम्हारे मुख़ालिफ़ हैं) जबकि ये ख़ुद आपस में एक दूसरे के दोस्त हैं और तुम में से अगर कोई उन्हंे दोस्त बनायेगा तो उन्हीं में शुमार हो जायेगा बेशक अल्लाह ज़ालिम क़ौम की हिदायत नहीं करता है |
5 | 52 | ऐ पैग़म्बर आप देखंे कि जिनके दिलांे में नेफ़ाक़ (दिल में कुछ ज़बान पर कुछ) की बीमारी है वह दौड़ दौड़ कर उनकी तरफ़ जाते हैं और आप से यह बयान करते हैं कि हमें गर्दिशे ज़माना का ख़ौफ़ है कि कहीं हम परेशानी में न पड़ जायें। पस अनक़रीब ख़ु़दा अपनी तरफ़ से (मुसलमानों को) फ़तह या कोई दूसरा अम्र ले आयेगा तो ये अपने दिल के छिपाये हुए राज़ पर पशेमान हो जायेंगे |
5 | 53 | और साहेबाने ईमान कहेंगे कि क्या यही लोग हैं जिन्होंने नामे ख़ु़दा पर सख़्त तरीन क़समें खायी थीं कि हम तुम्हारे साथ हैं तो अब उनके आमाल बर्बाद हो गये और ये ख़सारा (घाटा) उठाने वाले हो गये |
5 | 54 | ईमान वालांे तुम में से जो भी अपने दीन से पलट जायेगा, तो अनक़रीब ख़ु़दा एक क़ौम को ले आयेगा जो उसकी महबूब और उससे मोहब्बत करने वाली, मोमिनीन के सामने ख़ाकसार और कुफ़्फ़ार के सामने साहेबे इज़्ज़त, राहे ख़ु़दा में जेहाद करने वाली और किसी मलामत करने वाले की मलामत की परवाह न करने वाली होगी। ये फ़ज़्ले ख़ु़दा है वह जिसे चाहता है अता करता है और साहेबे वुसअत और अलीम व दाना भी है |
5 | 55 | ईमान वालों बस तुम्हारा वली अल्लाह है और उसका रसूल (स0) और वह साहेबाने ईमान जो नमाज़ क़ायम करते हैं और हालते रूकुअ में ज़कात देते हैं |
5 | 56 | और जो भी अल्लाह, रसूल (स0) और साहेबाने ईमान को अपना सरपरस्त बनायेगा तो अल्लाह की ही जमाअत ग़ालिब आने वाली है |
5 | 57 | ईमान वालांे ख़बरदार अहले किताब में जिन लोगों ने तुम्हारे दीन को मज़ाक़ और तमाशा बना लिया है और दीगर कुफ़्फ़ार और उनके वलियों को भी अपना वली और सरपरस्त न बनाना और अल्लाह से डरते रहना अगर तुम वाक़ई साहेबाने ईमान हो |
5 | 58 | और जब तुम नमाज़ के लिए अज़ान देते हो तो ये इसको मज़ाक़ और खेल बना लेते हैं इसलिए कि ये बिल्कुल बेअक़्ल क़ौम है |
5 | 59 | पैग़म्बर आप कह दीजिए कि ऐ अहले किताब क्या तुम हम से सिर्फ़ इस बात पर नाराज़ हो कि हम अल्लाह और उसने जो कुछ हमारी तरफ़ या हमसे पहले नाजि़ल किया है उन सब पर ईमान रखते हैं और तुम्हारी अकसरीयत फ़ासिक़ (बे दीन) और नाफ़रमान है |
5 | 60 | क्या हम तुमको ख़ु़दा के नज़दीक सज़ा के तौर पर इससे बदतर ऐब की ख़बर दें कि जिस पर ख़ु़दा ने लाॅनत और ग़ज़ब नाजि़ल किया है और इनमें से बाॅज़ को बन्दर और बाअज़ को सूअर बना दिया है और जिसने भी ताग़्ा़ूत (शैतान) की इबादत की है वह जगह के एतबार से बदतरीन और सीधे रास्ते से इन्तिहाई बहका हुआ है |
5 | 61 | और ये जब तुम्हारे पास आते हैं तो कहते हैं कि हम ईमान ले आये हैं हालांकि ये कुफ्ऱ ही के साथ दाखि़ल हुए हैं और उसी को लेकर निकले हैं और ख़ु़दा इन सब बातांे को ख़ूब जानता है जिनको ये छिपाये हुए हैं |
5 | 62 | इनमें से बहुत सांे को आप देखंेगे कि वह गुनाह और ज़्ाुल्म और हराम ख़ोरी मंे दौड़ते फिरते हैं और ये बदतरीन काम अंजाम दे रहे हैं |
5 | 63 | आखि़र इन्हें अल्लाह वाले और ओलमा इनके झूठ बोलने वाले और हराम खाने से क्यों नहीं मना करते। ये यक़ीनन बहुत बुरा कर रहे हैं |
5 | 64 | और यहूदी कहते हैं कि ख़ु़दा के हाथ बंधे हुए हैं जबकि असल में उन्हीं के हाथ बंधे हुए हैं और ये अपने क़ौल की बिना पर मलऊन हैं और ख़ु़दा के दोनों हाथ खुले हुए हैं और वह जिस तरह चाहता है ख़र्च करता है और जो कुछ आप पर परवरदिगार की तरफ़ से नाजि़ल हुआ है उसका इन्कार इनमें से बहुत सों के कुफ्ऱ और इनकी सरकशी को और बढ़ा देगा और हमने इनके दरम्यान क़यामत तक के लिए अदावत और बुग़्ज़ पैदा कर दिया है कि जब भी जंग की आग भड़काना चाहेंगे ख़ु़दा बुझा देगा और ये ज़मीन में फ़साद की कोशिश कर रहे हैं और ख़ु़दा मुफ़सिदो (फ़साद करने वालों) को दोस्त नहीं रखता |
5 | 65 | और अगर अहले किताब ईमान ले आते और हमसे डरते रहते तो हम उनके गुनाहांे को माॅफ़ कर देते और उन्हंे नेअमतों के बाग़ात में दाखि़ल कर देते |
5 | 66 | और अगर ये लोग तौरेत व इंजील और जो कुछ इनकी तरफ़ परवरदिगार की तरफ़ से नाजि़ल किया गया है सबको क़ायम करते तो अपने ऊपर और क़दमांे के नीचे से रिज़्क़े ख़ु़दा हासिल करते, इनमें से एक क़ौम मियानारू (दरमियानी) है और ज़्यादातर लोग बदतरीन आमाल अंजाम दे रहे हैं |
5 | 67 | ऐ पैग़म्बर आप इस हुक्म को पहुंचा दें जो आपके परवरदिगार की तरफ़ से नाजि़ल किया गया है और अगर आपने ये न किया तो गोया उसके पैग़ाम को नहीं पहुंचाया और ख़ु़दा आपको लोगांे के शर से महफ़ूज़ रखेगा कि बेशक अल्लाह काफि़रों की हिदायत नहीं करता है |
5 | 68 | कह दीजिए कि ऐ अहले किताब तुम्हारा कोई मज़हब नहीं है जब तक तौरेत व इंजील और जो कुछ परवरदिगार की तरफ़ से नाजि़ल हुआ है उसे क़ायम न करो और जो कुछ आप के पास परवरदिगार की तरफ़ से नाजि़ल हुआ है वह उनकी कसीर तादाद की सरकशी (बग़ावत) और कुफ्ऱ में इज़ाफ़ा कर देगा तो आप काफि़रांे के हाल पर रंजीदा न हों |
5 | 69 | बेशक जो लोग साहेबे ईमान हैं या यहूदी और सितारा परस्त और ईसाई हैं इनमें से जो भी अल्लाह और आखि़रत पर वाक़ई ईमान लायेगा और अमले सालेह (नेक अमल) करेगा उसके लिए न ख़ौफ़ है और न उसे हुज़्न होगा |
5 | 70 | हमने बनी इसराईल से अहद लिया है और उनकी तरफ़ बहुत से रसूल भेजे हैं लेकिन जब इनके पास कोई रसूल इनकी ख़्वाहिश के खि़लाफ़ हुक्म ले आया तो उन्हांेने एक जमाअत की तकज़ीब (झुठलाया) की और एक गिरोह को क़त्ल कर देते हैं |
5 | 71 | और उन लोगों ने ख़याल किया के इसमें कोई ख़राबी न होगी इस लिये यह हक़ाएक़ से अंधे और बहरे हो गए हैं। इसके बाद ख़ुदा ने इनकी तौबा क़ुबूल कर ली लेकिन फि़र भी अकसरीयत अन्धी, बहरी हो गई और ख़ुदा उनके तमाम आमाल पर गहरी निगाह रखता है। |
5 | 72 | यक़ीनन वह लोग काफि़र हैं जिनका कहना है के अल्लाह ही मसीह अलैहिस्सलाम इब्ने मरयम हैं जबके ख़ुद मसीह का कहना है के ऐ बनी इसराईल अपने और मेरे परवरदिगार की इबादत करो जो कोई उसका शरीक क़रार देगा उस पर ख़ुदा ने जन्नत हराम कर दी है और उसका अन्जाम जहन्नुम है और ज़ालिमों का कोई मददगार न होगा। |
5 | 73 | यक़ीनन वह लोग काफि़र हैं जिनका कहना है के अल्लाह तीन में का तीसरा है, हालांके अल्लाह के अलावा कोई ख़ुदा नहीं है और अगर यह लोग अपने क़ौल से बाज़ न आएंगे तो उनमें से कुफ्ऱ इखि़्तयार करने वालों पर दर्दनाक अज़ाब नाजि़ल हो जाएगा। |
5 | 74 | यह लोग ख़ुदा की बारगाह में तौबा और इस्तेग़फ़ार क्यों नहीं करते जबकि अल्लाह बहुत बख़्शने वाला और मेहरबान है। |
5 | 75 | (ईसा) मसीह (अलै0) इब्ने मरयम कुछ नहीं हैं सिर्फ़ हमारे रसूल हैं जिनसे पहले बहुत से रसूल गुज़र चुके हैं और उनकी माँ सिद्दीक़ा थीं और वह दोनों खाना खाया करते थे, देखो हम अपनी निशानियों को किस तरह वाज़ेह करके बयान करते हैं और फि़र देखो के यह लोग किस तरह भटके जा रहे हैं। |
5 | 76 | (ऐ रसूल) पैग़म्बर आप इनसे कहिये के क्या तुम अल्लाह को छोड़कर उनकी इबादत करते हो जो तुम्हारे लिये नफ़े और नुक़सान के मालिक भी नहीं हैं और ख़ुदा सुनने वाला भी है और जानने वाला भी है |
5 | 77 | (ऐ रसूल) पैग़म्बर आप कह दीजिये के ऐ एहले किताब अपने दीन में नाहक़ ग़्ाुलू (ज़्यादती) से काम न लो और उस क़ौम की ख़्वाहिशात का इत्तेबा न करो जो पहले से गुमराह हो चुकी है और बहुत से लोगों को गुमराह भी कर चुकी है और सीधे रास्ते से बहक चुकी है। |
5 | 78 | बनी इसराईल में से कुफ्ऱ इखि़्तयार करने वालों पर जनाबे दाऊद (अ0) और जनाब ईसा (अ0) की ज़बान से लानत की जा चुकी है के इन लोगों ने नाफ़रमानी की और हमेशा हद से तजावुज़ किया करते थे |
5 | 79 | उन्होंने जो बुराई भी की है उससे बाज़ न आते थे और बदतरीन काम किया करते थे |
5 | 80 | उनमें से अकसर को आप देखेंगे के यह कुफ़्फ़ार से दोस्ती करते हैं। उन्होंने अपने नफ़्स (जान) के लिये जो सामान पहले से फ़राहम किया है वह बहुत बुरा (अरा) सामान है जिस पर ख़ुदा उनसे नाराज़ है और वह अज़ाब में हमेशा रहने वाले हैं। |
5 | 81 | अगर ये लोग अल्लाह (ख़ुदा) और नबी मूसा (अ0) और जो कुछ उन पर नाजि़ल हुआ है सब पर ईमान रखते हैं तो हरगिज़ कुफ़्फ़ार को दोस्त न बनाते लेकिन उनमें से बहुत से लोग फ़ासिक़ और नाफ़रमान हैं |
5 | 82 | (ऐ रसूल) आप देखेंगे के साहेबाने ईमान से सबसे ज़्यादा अदावत रखने वाले यहूदी और मुशरिक हैं और उनकी मुहब्बत से सबसे ज़्यादा क़रीब वह लोग हैं जो कहते हैं के हम नसरानी हैं, यह इसलिये है के उनमें बहुत से क़सीस (आमिल) और राहिब पाए जाते हैं और यह मुतकब्बिर और बुराई करने वाले नहीं हैं। |
5 | 83 | और जब (यह लोग) इस कलाम (कु़रान) को सुनते हैं जो (हमारे) रसूल पर नाजि़ल हुआ है तो तुम देखते हो के उनकी आँखों से बेसाख़्ता (छलक कर) आँसू जारी हो जातें है के उन्होंने (अम्र) हक़ को पहचान लिया है और कहते हैं कि परवरदिगार (ऐ मेरे पालने वाले) हम ईमान ले आए हैं लेहाज़ा हमारा नाम भी (रसूल की) तसदीक़ करने वालों में दर्ज कर ले |
5 | 84 | भला हम अल्लाह और अपने पास आने वाले हक़ पर किस तरह ईमान न लाएंगे जबके हमारी ख़्वाहिश है के परवरदिगार हमें नेक किरदार बन्दों में शामिल कर ले। |
5 | 85 | तो इस (सदके़ दिल से) क़ौल की बिना पर परवरदिगार ने उन्हें वह (हरे भरे) बाग़ात दे दिये जिनके (दरख़्तों के) नीचे बह रही हैं (और) वह उन्हीं में हमेशा रहने वाले हैं और यही नेक किरदार लोगों की जज़ा है |
5 | 86 | और जिन लोगों ने कुफ्ऱ एख़्तेयार कर लिया और हमारी आयतों को झुठला दिया तो वह लोग जहन्नुमी हैं |
5 | 87 | (ऐ) ईमान वालों जिन चीज़ों को ख़ुदा ने तुम्हारे लिये हलाल किया है उन्हें हराम न बनाओ और हद से तजावुज़ न करो (न बढ़ो) के ख़ुदा हद तजावुज़ करने वालों को (हरगिज़) दोस्त नहीं रखता |
5 | 88 | और जो उसने रिज़्क़ हलाल व पाक-ओ-पाकीज़ा (साफ सुथरा) दिया है उसको (शौक़ से) खाओ और उस ख़ुदा से डरते रहो जिस पर तुम ईमान रखने वाले हो |
5 | 89 | ख़ुदा तुमसे बेमक़सद क़समें खाने पर मुवाख़ेज़ा नहीं करता है लेकिन जिन क़समों की गिरह दिल ने बांध ली है उनकी मुख़ालेफ़त का कफ़्फ़ारा दस मिस्कीनों (मोहताजों) के लिए औसत दर्जे का खाना है जो अपने घर वालों को खिलाते हो या उनका कपड़ा या एक गु़लाम की आज़ादी है। फिर अगर यह सब न मुमकिन हो तो तीन रोज़े रखो, के यह तुम्हारी क़समों का कफ़्फ़ारा है जब भी तुम क़सम खाकर उसकी मुख़ालेफ़त करो। अपनी क़समों (के पूरा न करनेे) का तहफ़्फ़ुज़ करो के ख़ुदा इस तरह अपनी आयात (एहकाम) को (तुम्हारे वास्ते) वाज़ेह (साफ़-साफ़) करके बयान करता है ताकि शायद तुम उसके शुक्र गुज़ार बन्दे बन जाओ |
5 | 90 | ईमानवालों! शराब, जुआ और बुत (और) पाँसा यह सब गन्दे शैतानी आमाल (काम) हैं लेहाज़ा उनसे परहेज़ करो ताके कामयाबी हासिल कर सको |
5 | 91 | शैतान तो बस यही चाहता है कि शराब और जुए के बारे में तुम्हारे दरम्यान बुग़्ज़ और अदावत पैदा कर दे और तुम्हें यादे ख़ुदा और नमाज़ से रोक दे तो क्या तुम वाक़ेअन रूक जाओगे |
5 | 92 | और देखो अल्लाह की इताअत करो (हुक्म मानो) और रसूल की इताअत करो और नाफ़रमानी से बचते रहो वरना अगर तुमने (हुक्म ख़ुदा से) रूगर्दानी की (मुँह फ़ेरा) तो जान लो कि रसूल की जि़म्मेदारी सिर्फ़ वाज़ेह (साफ़-साफ़) पैग़ाम का पहुँचा देना है |
5 | 93 | जो लोग ईमान लाए और उन्होंने नेक (अच्छे) आमाल (काम) किये उनके लिये इसमें कोई हर्ज नहीं है जो कुछ खा पी चुके हैं जबके वह मुत्तक़ी बन गए और ईमान ले आए और नेक आमाल किये और परहेज़ किया और ईमान ले आए और फि़र परहेज़ किया और नेक अमल किया और (ख़ुदा) नेक आमाल करने वालों ही को दोस्त रखता है। |
5 | 94 | ईमानवालों अल्लाह उन शिकारों के ज़रिये तुम्हारा इम्तेहान ज़रुर लेगा जिन तक तुम्हारे हाथ और नैज़े पहुंच जाते हैं ताके वह देखे के उससे लोगों के ग़ाएबाना (बे देखे भाले) में भी कौन-कौन डरता है फिर जो उसके बाद भी ज़्यादती करेगा उसके लिए दर्दनाक अज़ाब है |
5 | 95 | ईमानवालों हालाए (हालते) एहराम में शिकार को न मारो और जो तुममें क़स्द (जान बूझ कर) ऐसा करेगा उसकी सज़ा उन्हीं जानवरों के बराबर है जिन्हें क़त्ल किया है जिसका फ़ैसला तुममें से दो आदिल अफ़राद करें और इस क़ुरबानी को काबे तक जाना चाहिये या मसाकीन के खाने की शक्ल में कफ़्फ़ारा दिया जाने या उसके बराबर रोज़े रखे जाएं ताके अपने काम के अन्जाम का मज़ा चखें। अल्लाह ने गुजि़श्ता मुआमलात को माॅफ़ कर दिया है लेकिन अब जो दोबारा शिकार करेगा तो उससे इन्तेक़ाम लेगा और वह सब पर ग़ालिब आने वाला और बदला लेने वाला है। |
5 | 96 | तुम्हारे लिये दरियाई जानवर का षिकार करना और उसका खाना हलाल कर दिया गया है के तुम्हारे लिये और क़ाफि़लों के लिये फ़ायदे का ज़रिया है और तुम्हारे लिये ख़ुश्की का शिकार करना हराम कर दिया गया है जब तक हालते एहराम में रहो और उस ख़ुदा से डरते रहो जिसकी बारगाह में हाजि़र होना है। |
5 | 97 | अल्लाह ने काबे को जो बैतुल हराम (मोहतरम घर) है और मोहतरम (हुरमत दार) महीने को और कु़रबानी के आम जानवरों को और जिन जानवरों के गले में (कुर्बानी के वास्ते) पट्टा डाल दिया गया है सबको लोगों के क़याम (अमन क़ायम रखने) व सलाह का ज़रिया क़रार दिया है ताके तुम्हें यह मालूम रहे के अल्लाह ज़मीन व आसमान की हर शै से बाख़बर (वाक़िफ) है और वह कायनात की हर शै का जानने वाला है। |
5 | 98 | याद रखो ख़ुदा सख़्त अज़ाब करने वाला भी है और ग़फ़ूर व रहीम भी है। |
5 | 99 | और (हमारे) रसूल पर तबलीग़ (पैग़ाम पहुँचा देने) के सिवा (और) कोई जि़म्मेदारी नहीं है और अल्लाह से जिन बातों का तुम इज़हार करते हो या छिपाते हो सबसे बाख़बर (जानता) है |
5 | 100 | पैग़म्बर (ऐ रसूल) आप कह दीजिये कि ख़बीस और पाकीज़ा बराबर नहीं हो सकते, चाहे ख़बीस की कसरत अच्छी ही क्यों न लगे। साहेबाने अक़्ल अल्लाह से डरते रहो शायद के तुम कामयाब हो जाओ |
5 | 101 | ईमान वालों उन चीज़ों के बारे में (रसूल से) सवाल न करो जो तुम पर ज़ाहिर हो जाएं तो तुम्हें बुरी लगें और अगर नुज़ूले क़ुरान (कु़रान नाजि़ल होने) के वक़्त दरयाफ़्त कर लोगे तो ज़ाहिर भी कर दी जाएंगी और अब तक की बातों को अल्लाह ने माफ़ कर दिया है के वह बड़ा बख़्शने वाला और बुर्दबार (बर्दाश्त करने वाला) है |
5 | 102 | तुमसे पहले वाली क़ौमों ने भी ऐसे ही सवालात किये और उसके बाद फि़र काफि़र हो गए। |
5 | 103 | अल्लाह ने बहीरा (कान फटी ऊँटनी), सायबा (साँड़), वसीला (जुडवा बच्चे) और हाम (बूढ़ा साँड) का कोई क़ानून नहीं बनाया जो लोग काफि़र हो गए हैं वह अल्लाह पर झूठा बोहतान बाँधते हैं और उनमें के अक्सर बे अक़्ल हैं |
5 | 104 | और जब उनसे कहा जाता है कि ख़ुदा के नाजि़ल किये हुए एहकाम और उसके रसूल की तरफ़ आओ तो कहते हैं के हमारे लिये वही काफ़ी है जिस पर हमने अपने आबा-व-अजदाद को पाया है चाहे उनके आबा-व-अजदाद न कुछ समझते हों और न किसी तरह की हिदायत करते हों। |
5 | 105 | ईमान वालों अपने नफ़्स की फि़क्र करो अगर तुम हिदायत याफ़्ता रहे तो गुमराहों की गुमराही तुम्हें कोई नुक़सान नहीं पहुँचा सकती। तुम सबकी बाज़गश्त ख़ुदा की तरफ़ है फि़र वह तुम्हें तुम्हारे आमाल से बाख़बर करेगा। |
5 | 106 | ईमान वालों जब तुममें से किसी की मौत सामने आ जाए तो गवाही का ख़याल रखना के वसीयत के वक़्त दो आदिल गवाह तुममें से हों या फिर तुम्हारे ग़ैर (मोमिन) में से हों अगर तुम सफ़र की हालत में हो और वहीं मौत की मुसीबत नाजि़ल हो जाए इन दोनों को नमाज़ के बाद रोक कर रखो फि़र अगर तुम्हें शक हो तो यह ख़ुदा की क़सम खाएं के हम इस गवाही से किसी तरह का फ़ायदा नहीं चाहते हैं चाहे क़राबत दार ही का मामला क्यों न हो और न ख़ुदाई शहादत को छिपाते हैं के इस तरह हम यक़ीनन गुनाहगारों में शुमार हो जाएंगे। |
5 | 107 | फिर अगर मालूम हो जाए कि वह दोनों गुनाह के हक़दार हो गए हैं तो उनकी जगह दूसरे (दो) आदमी खड़े होंगे इन अफ़राद में से जो मय्यत से क़रीबतर हैं और क़सम खाएँगे के हमारी शहादत उनकी शहादत से ज़्यादा सही है और हमने किसी तरह की ज़्यादती नहीं की है के इस तरह ज़ालेमीन में शुमार हो जाएंगे। |
5 | 108 | यह बेहतरीन तरीक़ा है के शहादत को सही तरीक़े से पेश करें या उस बात से डरें के कहीं हमारी गवाही दूसरों की गवाही के बाद रद न कर दी जाए और अल्लाह से डरते रहो और उसकी सुनो के वह फ़ासिक़ क़ौम की हिदायत नहीं करता है। |
5 | 109 | जिस दिन ख़ुदा तमाम मुरसलीन को जमा करके सवाल करेगा के तुम्हें क़ौम की तरफ़ से तबलीग़ का क्या जवाब मिला तो वह कहेंगे के हम क्या बताएं, तू ख़ुद ही ग़ैब का जानने वाला है। |
5 | 110 | (वह वक़्त याद करो) जब ख़ुदा फरमाएगा कि ऐ मरियम के बेटे ईसा हमने जो एहसानात तुम पर और तुम्हारी माँ पर किये उन्हे याद करो जब हमने रूहुलक़ुदूस (जिबरील) से तुम्हारी ताईद की कि तुम झूले में (पड़े-पड़े) और अधेड़ होकर (यक सा बातें) करने लगे और जब हमने तुम्हें लिखना और अक़ल व दानाई की बातें और तौरेत व इन्जील (ये सब चीजे़) सिखायीं और जब तुम मेरे हुक्म से मिट्टी से चिडि़या की मूरत बनाते फिर उस पर कुछ दम कर देते तो वह मेरे हुक्म से (सचमुच) चिडि़या बन जाती थी और मेरे हुक्म से मादरज़ाद (पैदायशी) अँधे और कोढ़ी को अच्छा कर देते थे और जब तुम मेरे हुक्म से मुर्दों को जि़न्दा (करके क़ब्रों से) निकाल खड़ा करते थे और जिस वक़्त तुम बनी इसराईल के पास मोजिज़े लेकर आए और उस वक़्त मैंने उनको तुम (पर दस्त दराज़ी करने) से रोका तो उनमें से बाज़ कुफ़्फ़ार कहने लगे ये तो बस खुला हुआ जादू है |
5 | 111 | और जब हमने हवारीयीन (हवारियों) की तरफ़ इलहाम किया कि हम पर और मेरे रसूलों पर ईमान लाओ तो उन्होंने कहा के हम ईमान ले आए और तू गवाह रहना कि हम मुसलमान (तेरे फरमाबरदार बन्दे) हैं |
5 | 112 | और जब हवारीयीन (हवारियों) ने कहा ऐ ईसा बिन मरयम क्या तुम्हारे रब में यह ताक़त भी है के हमारे ऊपर आसमान से दस्तरख़्वान नाजि़ल कर दे तो उन्होंने जवाब दिया के तुम अगर मोमिन (सच्चे ईमानदार) हो तो अल्लाह से डरो |
5 | 113 | उन लोगों ने कहा के हम चाहते हैं के हम इसमें से खाएं और इत्मीनाने क़ल्ब पैदा करें और यह जान लें के आपने हमसे सच कहा है और हम ख़ुद भी इसके गवाहों में शामिल हो जाएं। |
5 | 114 | (तब) ईसा बिन मरियम ने (बारगाहे ख़ुदा में) कहा ख़ुदाया परवरदिगार (ऐ हमारे पालने वाले) हमारे ऊपर आसमान से दस्तरख़्वान नाजि़ल कर दे के हमारे अव्वल व आखि़र के लिये ईद हो जाए और तेरी क़ुदरत की निशानी बन जाए और हमें रिज़्क़ दे के तू बेहतरीन रिज़्क़ देने वाला है। |
5 | 115 | परवरदिगार ने कहा के हम नाजि़ल तो कर रहे हैं लेकिन इसके बाद जो तुम में से इन्कार करेगा उस पर ऐसा अज़ाब नाजि़ल करेंगे के आलमीन में किसी पर नहीं किया है। |
5 | 116 | और जब अल्लाह ने कहा के ऐ ईसा बिन मरयम क्या तुमने लोगों से यह कह दिया है के अल्लाह को छोड़ कर मुझे और मेरी माँ को ख़ुदा मान लो. तो ईसा ने अजऱ् की के तेरी ज़ात बे नियाज़ है मैं ऐसी बात कैसे कहूँगा जिसका मुझे कोई हक़ नहीं है और अगर मैंने कहा था तो तुझे तो मालूम ही है के तू मेरे दिल का हाल जानता है और मैं तेरे असरार (चन्द ज़ाहिरी बातों के सिवा) नहीं जानता हूँ तू तो ग़ैब का जानने वाला भी है। |
5 | 117 | मैंने उनसे सिर्फ़ वही कहा है जिसका तूने हुक्म दिया था के ख़ुदा ही की इबादत करो जो मेरा और तुम्हारा सबका पालने वाला है। और जब तक मैं उनके दरम्यान रहा उनका गवाह और निगराँ (निगेहबान) रहा फिर जब तूने मुझे (दुनिया से) उठा लिया तो तू उनका निगेहबान है और तू हर शै (चीज़) का गवाह और निगराँ है। |
5 | 118 | अगर तू उन पर अज़ाब करेगा तो (तू मालिक है) वह तेरे ही बन्दे हैं और अगर माफ़ कर देगा तो तू साहेबे इज़्ज़त भी है और साहेबे हिकमत (हिकमत वाला) भी है |
5 | 119 | अल्लाह ने कहा कि यह क़यामत का दिन है जब सादेक़ीन (सच्चे बन्दों) को उनका सच फ़ायदा पहुंचाएगा के उनके लिये बाग़ात होंगे जिनके (दरख़्तो के) नीचे नहरे जारी होंगी और वह उनमें हमेशा-हमेशा रहेंगे। ख़ुदा उनसे राज़ी होगा और वह ख़ुदा से और यही एक अज़ीम कामयाबी है। |
5 | 120 | अल्लाह के लिये ज़मीन व आसमान और उनके दरम्यान की कुल हुकूमत है और वह हर शै पर क़ुदरत रखने वाला है। |
Wednesday, 15 April 2015
Sura-a-Maeda 5th sura of Quran Urdu Translation of Quran in Hindi (Allama zeeshan haider Jawadi sb.),
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment