|
|
सूरा-ए-साफ़्फ़ात |
37 |
|
अज़ीम और दाएमी (हमेशा
बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। |
37 |
1 |
बाक़ायदा (क़ायदे के
हिसाब से, ठीक तरह से) तौर पर सफ़ें बांधने वालों की क़सम |
37 |
2 |
फिर मुकम्मल तरीक़े से
तन्बिया करने (डांटने वालों) वालों की क़सम |
37 |
3 |
फिर जि़क्रे ख़ुदा की
तिलावत करने वालों की क़सम |
37 |
4 |
बेशक तुम्हारा ख़ुदा
एक है |
37 |
5 |
वह आसमान व ज़मीन में
और उनके माबैन (दरमियान, बीच) की तमाम चीज़ों का परवरदिगार (पालने वाला) और हर
मशरिक़ का मालिक है |
37 |
6 |
बेशक हमने आसमाने
दुनिया को सितारों से मुज़य्यन (ज़ीनत वाला) बना दिया है |
37 |
7 |
और इन्हें हर सरकश
शैतान से हिफ़ाज़त का ज़रिया बना दिया है |
37 |
8 |
कि अब शयातीन (शैतान)
आलिमे बाला की बातें सुनने की कोशिश नहीं कर सकते और वह हर तरफ़ से मारे जायेंगे |
37 |
9 |
हंकाने (भगाने) के लिए
और उनके लिए हमेशा-हमेशा का अज़ाब है |
37 |
10 |
अलावा उसके जो कोई बात
उचक ले तो उसके पीछे आग का शोला लग जाता है |
37 |
11 |
अब ज़रा इनसे दरयाफ़्त
(मालूम) करो कि ये ज़्यादा दुश्वार गुज़ार (मुश्किल करने वाली) मख़लूक़ हैं या
जिनको हम पैदा कर चुके हैं हमने इन सबको एक लसदार (चिपकने वाली) मिट्टी से पैदा
किया है |
37 |
12 |
बल्कि तुम ताज्जुब
करते हो और ये मज़ाक़ उड़ाते हैं |
37 |
13 |
और जब नसीहत (अच्छी
बातों का बयान) की जाती है तो कु़बूल नहीं करते हैं |
37 |
14 |
और जब कोई निशानी देख
लेेते हैं तो मसख़रापन (हंसी में उड़ाना) करते हैं |
37 |
15 |
और कहते हैं कि यह तो
एक खुला हुआ जादू है |
37 |
16 |
क्या जब हम मर जायेंगे
और मिट्टी और हड्डी हो जायेंगे तो क्या दोबारा उठाये जायेंगे |
37 |
17 |
और क्या हमारे अगले
बाप दादा भी जि़न्दा किये जायेंगे |
37 |
18 |
कह दीजिए कि बेशक और
तुम ज़लील भी होगे |
37 |
19 |
यह क़यामत तो सिर्फ़
एक ललकार होगी जिसके बाद सब देखने लगेंगे |
37 |
20 |
और कहेंगे कि हाए
अफ़सोस ये तो क़यामत का दिन है |
37 |
21 |
बेशक यही वह फ़ैसले का
दिन है जिसे तुम लोग झुठलाया करते थे |
37 |
22 |
फ़रिश्तों ज़रा इन
जु़ल्म करने वालों को और इनके साथियों को और ख़ुदा के अलावा जिनकी ये इबादत किया
करते थे सबको इकठ्ठा तो करो |
37 |
23 |
और इनके तमाम माबूदों
(जिनकी यह ख़ुदा को छोड़कर इबादत किया करते थे) को और इनको जहन्नम का रास्ता तो
बता दो |
37 |
24 |
और ज़रा इनको ठहराओ के
अभी इनसे कुछ सवाल किया जायेगा |
37 |
25 |
अब तुम्हें क्या हो
गया है एक दूसरे की मदद क्यों नहीं करते हो |
37 |
26 |
बल्कि आज तो सब के सब
सिर झुकाये हुए हैं |
37 |
27 |
और एक दूसरे की तरफ़
रूख़ (मुंह) करके सवाल कर रहे हैं |
37 |
28 |
कहते हैं कि तुम्हीं
तो हो जो हमारी दाहिनी तरफ़ से आया करते थे |
37 |
29 |
वह कहेंगे कि नहीं तुम
ख़ु़द ही ईमान लाने वाले नहीं थे |
37 |
30 |
और हमारी तुम्हारे ऊपर
कोई हुकूमत नहीं थी बल्कि तुम ख़ु़द ही सरकश (बाग़ी) क़ौम थे |
37 |
31 |
अब हम सब पर ख़ुदा का
अज़ाब साबित हो गया है और सबको इसका मज़ा चखना होगा |
37 |
32 |
हमने तुमको गुमराह
किया कि हम ख़ु़द ही गुमराह थे |
37 |
33 |
तो आज के दिन सब ही
अज़ाब में बराबर के शरीक होंगे |
37 |
34 |
और हम इसी तरह
मुजरेमीन (जुर्म करने वालों) के साथ बरताव किया करते हैं |
37 |
35 |
इनसे जब कहा जाता था
कि अल्लाह के अलावा कोई ख़ुदा नहीं है तो अकड़ जाते थे |
37 |
36 |
और कहते थे कि क्या हम
एक मजनून (जुनून वाले, दीवाने) शायर की ख़ातिर अपने ख़ुदाओं को छोड़ देंगे |
37 |
37 |
हालांकि वह हक़ लेकर
आया था और तमाम रसूलों की तस्दीक़ (सच्चाई की गवाही) करने वाला था |
37 |
38 |
बेशक तुम सब दर्दनाक
(दर्द देने वाला) अज़ाब का मज़ा चखने वाले हो |
37 |
39 |
और तुम्हें तुम्हारे
आमाल (कामों) के मुताबिक़ ही बदला दिया जायेगा |
37 |
40 |
अलावा अल्लाह के
मुख़लिस (ख़ालिस, ख़ास) बन्दों के |
37 |
41 |
कि इनके लिए मुअय्यन
(तय किया हुआ) रिज़्क़ है |
37 |
42 |
मेवे हैं और वह बा
इज़्ज़त तरीक़े से रहेंगे |
37 |
43 |
नेअमतों से भरी हुई
जन्नत में |
37 |
44 |
आमने सामने तख़्त पर
बैठे हुए |
37 |
45 |
उनके गिर्द साफ़
शफ़्फ़ाफ़ शराब (पीने की चीज़) का दौर चल रहा होगा |
37 |
46 |
सफ़ेद रंग की शराब
जिसमें पीने वाले को लुत्फ़ (मज़ा) आये |
37 |
47 |
इसमें न कोई दर्दे सिर
हो और न होश-हवास गुम होने पायें |
37 |
48 |
और इनके पास महदूद
नज़र रखने वाली कुशादा चश्म (बड़ी-बड़ी आंखों वाली) हूरें होंगी |
37 |
49 |
जिनका रंग व रोग़न ऐसा
होगा जैसे छिपाये हुए अण्डे रखे हुए हों |
37 |
50 |
फिर एक दूसरे की तरफ़
रूख़ (मुंह) करके सवाल करेंगे |
37 |
51 |
तो इनमें का एक कहेगा
कि दारे दुनिया में हमारा एक साथी भी था |
37 |
52 |
वह कहा करता था कि
क्या तुम भी क़यामत की तस्दीक़ (सच्चाई की गवाही) करने वालों में हो |
37 |
53 |
क्या जब मर कर मिट्टी
और हड्डी हो जायेंगे तो हमें हमारे आमाल (कामों) का बदला दिया जायेगा |
37 |
54 |
क्या तुम लोग भी इसे
देखोगे |
37 |
55 |
ये कह कर निगाह डाली
तो उसे बीच जहन्नुम में देखा |
37 |
56 |
कहा कि ख़ुदा की क़सम
क़रीब था कि तू मुझे भी हलाक (बरबाद, ख़त्म) कर देता |
37 |
57 |
और मेरे परवरदिगार
(पालने वाले) का एहसान न होता तो मैं भी यहीं हाजि़र कर दिया जाता |
37 |
58 |
क्या ये सही नहीं है
कि हम अब मरने वाले नहीं हैं |
37 |
59 |
सिवाए पहली मौत के और
हम पर अज़ाब होने वाला भी नहीं है |
37 |
60 |
यक़ीनन ये बहुत बड़ी
कामयाबी है |
37 |
61 |
इसी दिन के लिए अमल
करने वालों को अमल करना चाहिए |
37 |
62 |
ज़रा बताओ कि ये
नेअमतें मेहमानी के वास्ते बेहतर (ज़्यादा अच्छा) हैं या थोहड़ का दरख़्त (पेड़) |
37 |
63 |
जिसे हमने ज़ालेमीन
(ज़्ाुल्म करने वालों) की आज़माईश के लिए क़रार दिया है |
37 |
64 |
ये एक दरख़्त (पेड़)
है जो जहन्नम की तह से निकलता है |
37 |
65 |
इसके फल ऐसे बदनुमां
हैं जैसे शैतानों के सिर |
37 |
66 |
मगर ये जहन्नमी
(जहन्नम में रहने वाले) इसी को खायेंगे और इसी से पेट भरेंगे |
37 |
67 |
फिर इनके पीने के लिए
गरमा गरम (खौलता हुआ) पानी होगा जिसमें पीप वग़ैरह की आमेजि़श (मिलावट) होगी |
37 |
68 |
फिर इन सबका आखि़री
अंजाम जहन्नम होगा |
37 |
69 |
इन्होंने अपने बाप
दादा को गुमराह पाया था |
37 |
70 |
तो उन्हीं के नक़्शे
क़दम पर भागते चले गये |
37 |
71 |
और यक़ीनन इनसे पहले
बुजु़र्गों की एक बड़ी जमाअत (गिरोह) गुमराह हो चुकी है |
37 |
72 |
और हमने इनके दरम्यान
(बीच में) डराने वाले पैग़म्बर अलैहिस्सलाम भेजे |
37 |
73 |
तो अब देखो कि जिन्हें
डराया जाता है उनके न मानने का अंजाम क्या होता है |
37 |
74 |
अलावा उन लोगों के जो
अल्लाह के मुखि़्लस (ख़ास) बन्दे होते हैं |
37 |
75 |
और यक़ीनन नूह
अलैहिस्सलाम ने हमको आवाज़ दी तो हम बेहतरीन (सबसे अच्छे) कु़बूल करने वाले हैं |
37 |
76 |
और हमने उन्हें और
उनके अहल (उनके वालों) को बहुत बड़े कर्ब (मुसीबत) से निजात (छुटकारा, रिहाई) दे
दी है |
37 |
77 |
और हमने इनकी औलाद को
बाक़ी रहने वालों में क़रार दिया |
37 |
78 |
और उनके तज़किरे को
आने वाली नस्लों में बरक़रार रखा |
37 |
79 |
सारी ख़़्ाुदाई में
नूह अलैहिस्सलाम पर हमारा सलाम |
37 |
80 |
हम इसी तरह नेक
(अच्छे) अमल करने वालों को जज़ा (सिला) देते हैं |
37 |
81 |
वह हमारे ईमानदार
बन्दों में से थे |
37 |
82 |
फिर हमने बाक़ी सबको
ग़कऱ् (डुबोना) कर दिया |
37 |
83 |
और यक़ीनन नूह
अलैहिस्सलाम ही के पैरोकारों में से इब्राहीम अलैहिस्सलाम भी थे |
37 |
84 |
जब अल्लाह की बारगाह
में क़ल्बे सलीम (साफ़ सुथरे दिल) के साथ हाजि़र हुए |
37 |
85 |
जब अपने मुरब्बी बाप
और अपनी क़ौम से कहा कि तुम लोग किस की इबादत कर रहे हो |
37 |
86 |
क्या ख़ुदा को छोड़कर
इन खु़दसाख़्ता (ख़ुद से बनाए हुए, झूठे) ख़ुदाओं के तलबगार बन गये हो |
37 |
87 |
तो फिर रब्बुलआलमीन
(तमाम जहानों का मालिक) के बारे में तुम्हारा क्या ख़्याल है |
37 |
88 |
फिर इब्राहीम
अलैहिस्सलाम ने सितारों में वक़्त नज़र से काम लिया |
37 |
89 |
और कहा कि मैं बीमार
हूँ |
37 |
90 |
तो वह लोग मुँह फेर कर
चले गये |
37 |
91 |
और इब्राहीम
अलैहिस्सलाम ने उनके ख़ुदाओं की तरफ़ रूख़ करके कहा कि तुम लोग कुछ खाते क्यों
नहीं हो |
37 |
92 |
तुम्हें क्या हो गया
है कि बोलते भी नहीं हो |
37 |
93 |
फिर उनकी मरम्मत
(मारने) की तरफ़ मुतावज्जे हो गये |
37 |
94 |
तो वह लोग दौड़ते हुए
इब्राहीम अलैहिस्सलाम के पास आये |
37 |
95 |
तो इब्राहीम
अलैहिस्सलाम ने कहा के क्या तुम लोग अपने हाथों के तराशीदा (तराशे हुए) बुतों की
परस्तिश (पूजा) करते हो |
37 |
96 |
जबकि ख़ुदा ने तुम्हें
और इनको सभी को पैदा किया है |
37 |
97 |
उन लोगों ने कहा कि एक
इमारत बनाकर आग जलाकर इन्हें आग में डाल दो |
37 |
98 |
इन लोगों ने एक चाल
चलना चाही लेकिन हमने उन्हें पस्त और ज़लील कर दिया |
37 |
99 |
और इब्राहीम
अलैहिस्सलाम ने कहा कि मैं अपने परवरदिगार (पालने वाले) की तरफ़ जा रहा हूँ कि
वह मेरी हिदायत कर देगा |
37 |
100 |
परवरदिगार (पालने
वाले) मुझे एक सालेह (नेक) फ़रज़न्द (बेटा) अता फ़रमा |
37 |
101 |
फिर हमने इन्हें एक
नेक (अच्छा) दिल फ़रज़न्द (बेटे) की बशारत (ख़ुशख़बरी) दी |
37 |
102 |
फिर जब वह फ़रज़न्द
(बेटा) इनके साथ दौड़ धूप करने के क़ाबिल हो गया तो उन्होंने कहा कि बेटा मैं
ख़्वाब में देख रहा हूँ कि मैं तुम्हें जि़ब्हा कर रहा हूँ अब तुम बताओ कि
तुम्हारा क्या ख़्याल है फ़रज़न्द (बेटे) ने जवाब दिया कि बाबा जो आप को हुक्म
दिया जा रहा है उस पर अमल करें इन्शाअल्लाह आप मुझे सब्र करने वालों में से
पायेंगे |
37 |
103 |
फिर जब दोनों ने सरे
तस्लीम ख़म कर दिया (मेरे हुक्म के आगे सर झुका दिया) और बाप ने बेटे को माथे के
बल लिटा दिया |
37 |
104 |
और हमने आवाज़ दी कि ऐ
इब्राहीम अलैहिस्सलाम |
37 |
105 |
तुमने अपना ख़्वाब सच
कर दिखाया हम इसी तरह हुस्ने अमल (नेक काम करने) वालों को जज़ा (सिला) देते हैं |
37 |
106 |
बेशक ये बड़ा खुला हुआ
इम्तिहान है |
37 |
107 |
और हमने इसका बदला एक
अज़ीम कु़र्बानी को क़रार दे दिया है |
37 |
108 |
और इसका तज़किरा
(जि़क्र) आखि़री दौर तक बाक़ी रखा है |
37 |
109 |
सलाम हो इब्राहीम
अलैहिस्सलाम पर |
37 |
110 |
हम इसी तरह हुस्ने अमल
(नेक काम करने) वालों को जज़ा (सिला) दिया करते हैं |
37 |
111 |
बेशक इब्राहीम
अलैहिस्सलाम हमारे मोमिन बन्दों में से
थे |
37 |
112 |
और हमने इन्हें इसहाक़
अलैहिस्सलाम की बशारत दी जो नबी और नेक (अच्छा) बन्दों में से थे |
37 |
113 |
और हमने उन पर और
इसहाक़ अलैहिस्सलाम पर बर्कत नाजि़ल की और उनकी औलाद में बाज़ (कुछ) नेक (अच्छे)
किरदार और बाज़ (कुछ) खु़ल्लम-खु़ल्ला अपने नफ़्स (जान) पर ज़्ाुु़ल्म करने वाले
हैं |
37 |
114 |
और हमने मूसा
अलैहिस्सलाम और हारून अलैहिस्सलाम पर भी अहसान किया है |
37 |
115 |
और उन्हें और उनकी
क़ौम को अज़ीम कर्ब (बड़ी मुसीबत) से निजात (छुटकारा, रिहाई) दिलाई है |
37 |
116 |
और उनकी मदद की है तो
वह ग़ल्बा हासिल करने वालों में हो गये हैं |
37 |
117 |
और हमने उन्हें वाज़ेह
मतालिब वाली किताब अता की है |
37 |
118 |
और दोनों को सीधे
रास्ते की हिदायत भी दी है |
37 |
119 |
और उनका तज़किरा
(जि़क्र) भी अगली नस्लों में बाक़ी रखा है |
37 |
120 |
सलाम हो मूसा
अलैहिस्सलाम और हारून अलैहिस्सलाम पर |
37 |
121 |
हम इसी तरह नेक
(अच्छे) अमल करने वालों को बदला दिया करते हैं |
37 |
122 |
बेशक वह दोनों हमारे
मोमिन बन्दों में से थे |
37 |
123 |
और यक़ीनन इलियास
अलैहिस्सलाम भी मुरसेलीन (रसूलों) में से थे |
37 |
124 |
जब उन्होंने अपनी क़ौम
से कहा कि तुम लोग ख़ुदा से क्यों नहीं डरते हो |
37 |
125 |
क्या तुम लोग बअ़ल
(बुत) को आवाज़ देते हो और बेहतरीन (सबसे अच्छे) ख़ल्क़ करने वाले को छोड़ देते
हो |
37 |
126 |
जबकि वह अल्लाह
तुम्हारा और तुम्हारे बाप दादा का पालने वाला है |
37 |
127 |
फिर इन लोगों ने रसूल
की तकज़ीब (झुठलाना) की तो सब के सब जहन्नुम में गिरफ़्तार किये जायेंगे |
37 |
128 |
अलावा अल्लाह के
मुखि़्लस (ख़ालिस, ख़ास) बन्दों के |
37 |
129 |
और हमने उनका तज़किरा
(जि़क्र) भी बाद की नस्लों में बाक़ी रखा दिया है |
37 |
130 |
सलाम हो आले यासीन
अलैहिस्सलाम पर |
37 |
131 |
हम इसी तरह हुस्ने अमल
वालों (नेकोकारों) को जज़ा (सिला) दिया करते हैं |
37 |
132 |
बेशक वह हमारे बा ईमान
(ईमान वाले) बन्दों में से थे |
37 |
133 |
और लूत भी यक़ीनन
मुरसेलीन (रसूलों) में थे |
37 |
134 |
तो हमने उन्हें और
उनके तमाम घर वालों को निजात (छुटकारा, रिहाई) दे दी |
37 |
135 |
अलावा उनकी ज़ौजा के
कि वह पीछे रह जाने वालों में शामिल हो गई थी |
37 |
136 |
फिर हमने सबको तबाह व
बर्बाद भी कर दिया |
37 |
137 |
तुम उनकी तरफ़ से
बराबर सुबह को गुज़रते रहते हो |
37 |
138 |
और रात के वक़्त भी तो
क्या तुम्हें अक़्ल नहीं आ रही है |
37 |
139 |
और बेशक युनूस
अलैहिस्सलाम भी मुरसेलीन (रसूलों) में से थे |
37 |
140 |
जब वह भाग कर एक भरी
हुई कश्ती की तरफ़ गये |
37 |
141 |
और अहले कश्ती ने
क़ु़रआ निकाला तो उन्हें शर्मिन्दगी का सामना करना पड़ा |
37 |
142 |
फिर उन्हें मछली ने
निगल लिया जबकि वह खु़द अपने नफ़्स (जान) की मलामत कर रहे थे |
37 |
143 |
फिर अगर वह तसबीह करने वालों में से न होते |
37 |
144 |
तो रोजे़ क़यामत
(क़यामत के दिन) तक उसी के शिकम (पेट) में रह जाते |
37 |
145 |
फिर हमने उनको एक
मैदान में डाल दिया जबकि वह मरीज़ भी हो गये थे |
37 |
146 |
और उन पर एक कद्दू का
दरख़्त (पेड़) उगा दिया |
37 |
147 |
और इन्हें एक लाख या
इससे ज़्यादा की क़ौम की तरफ़ नुमाइन्दा बनाकर भेजा |
37 |
148 |
तो वह लोग ईमान ले आये
और हमने भी एक मुद्दत (वक़्त) तक उन्हें आराम भी दिया |
37 |
149 |
फिर ऐ पैग़म्बर इन
कुफ़्फार से पूछिये कि क्या तुम्हारे परवरदिगार (पालने वाले) के पास लड़कियां
हैं और तुम्हारे पास लड़के हैं |
37 |
150 |
या हमने मलायका
(फ़रिश्तों) को लड़कियों की शक्ल में पैदा किया है और ये इसके गवाह हैं |
37 |
151 |
आगाह हो जाओ कि ये लोग
अपनी मन घड़त (ख़ुद से गढ़ी हुई बात) के तौर पर ये बातें बनाते हैं |
37 |
152 |
के अल्लाह के यहां
फ़रज़न्द (बेटा) पैदा हुआ है और ये लोग बिल्कुल झूठे हैं |
37 |
153 |
क्या उसने अपने लिए
बेटों के बजाए बेटियों का इन्तिख़ाब (चुन लेना) किया है |
37 |
154 |
आखि़र तुम्हें क्या हो
गया है तुम कैसा फ़ैसला कर रहे हो |
37 |
155 |
क्या तुम ग़ौर व
फि़क्र नहीं कर रहे हो |
37 |
156 |
या तुम्हारे पास इसकी
कोई वाज़ेह (खुली हुई़) दलील है |
37 |
157 |
तो अपनी किताब को ले
आओ अगर तुम अपने दावे में सच्चे हो |
37 |
158 |
और उन्होंने ख़ुदा और
जिन्नात के दरम्यान (बीच में) भी रिश्ता क़रार दे दिया हालांकि जिन्नात को मालूम
है कि उन्हें भी ख़ुदा की बारगाह में हाजि़र किया जायेगा |
37 |
159 |
ख़ुदा इन सबके बयानात
से बलन्द व बरतर और पाक व पाकीज़ा (साफ़-सुथरा) है |
37 |
160 |
अलावा ख़ुदा के नेक
(अच्छा) और मुखि़्लस (ख़ास) बन्दों के |
37 |
161 |
फिर तुम और जिसकी तुम
पर परस्तिश कर रहे हो |
37 |
162 |
सब मिलकर भी उसके
खि़लाफ़ किसी को बहका नहीं सकते हो |
37 |
163 |
अलावा उसके जिसको
जहन्नम में जाना ही है |
37 |
164 |
और हम में से हर एक के
लिए एक मक़ाम मुअय्यन (तय किया हुआ) है |
37 |
165 |
और हम उसकी बारगाह में
सफ़ बस्ता (सफ़ बनाकर) खड़े होने वाले हैं |
37 |
166 |
और हम उसकी तसबीह करने
वाले हैं |
37 |
167 |
अगर चे ये लोग यही कहा
करते थे |
37 |
168 |
कि अगर हमारे पास भी
पहले वालों का तज़किरा (जि़क्र) होता |
37 |
169 |
तो हम भी अल्लाह के
नेक (अच्छे) और मुखि़्लस (ख़ालिस, ख़ास) बन्दे होते |
37 |
170 |
तो फिर इन लोगों ने
कुफ्ऱ (ख़ुदा या उसके हुक्म/निशानियों का इन्कार करना) इखि़्तयार कर लिया तो
अनक़रीब (बहुत जल्द) उन्हें इसका अंजाम मालूम हो जायेगा |
37 |
171 |
और हमारे पैग़ाम्बर
बन्दों से हमारी बात पहले ही तय हो चुकी है |
37 |
172 |
कि इनकी मदद बहरहाल
(हर तरह से, हर हाल में) की जायेगी |
37 |
173 |
और हमारा लश्कर बहरहाल
(हर तरह से, हर हाल में) ग़ालिब आने वाला है |
37 |
174 |
लेहाज़ा (इसलिये) आप
थोड़े दिनों के लिए इनसे मुँह फेर लें |
37 |
175 |
और इनको देखते रहें
अनक़रीब (बहुत जल्द) ये ख़ु़द अपने अंजाम को देख लेंगे |
37 |
176 |
क्या ये हमारे अज़ाब
के बारे में जल्दी कर रहे हैं |
37 |
177 |
तो जब वह अज़ाब इनके
आंगन में नाजि़ल हो जायेगा तो वह डराई जाने वाली क़ौम की बदतरीन (सबसे बुरी)
सुबह होगी |
37 |
178 |
और आप थोड़े दिनों
इनसे मुँह फेर लें |
37 |
179 |
और देखते रहें अनक़रीब
(बहुत जल्द) ये खु़द देख लेंगे |
37 |
180 |
आपका परवरदिगार (पालने
वाला) जो मालिके इज़्ज़त भी है इनके बयानात से पाक व पाकीज़ा (साफ़-सुथरा) है |
37 |
181 |
और हमारा सलाम तमाम
मुरसेलीन (रसूलों) पर है |
37 |
182 |
और सारी तारीफ़ उस
अल्लाह के लिए है जो आलमीन (तमाम जहानों) का परवरदिगार (पालने वाला) है |
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