सूरा-ए-अलशराह | ||
94 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
94 | 1 | क्या हमने आपके सीने को कुशादा नहीं किया |
94 | 2 | और क्या आपके बोझ को उतार नहीं लिया |
94 | 3 | जिसने आपकी कमर को तोड़ दिया था |
94 | 4 | और आपके जि़क्र को बलन्द कर दिया |
94 | 5 | हाँ ज़हमत (परेशानी) के साथ आसानी भी है |
94 | 6 | बेशक तकलीफ़ के साथ सहूलियत भी है |
94 | 7 | लेहाज़ा (इसलिये) जब आप फ़ारिग़ हो जायें तो नस्ब कर दें |
94 | 8 | और अपने रब की तरफ़ रूख़ करें |
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