सूरा-ए-फ़लक़ | ||
113 | अज़ीम और दाएमी (हमेशा बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। | |
113 | 1 | कह दीजिए कि मैं सुबह के मालिक की पनाह चाहता हूँ |
113 | 2 | तमाम मख़्लूक़ात के शर (बुराई) से |
113 | 3 | और अंधेरी रात के शर (बुराई) से जब उसका अंधेरा छा जाये |
113 | 4 | और गन्डों पर फँूकने वालियों के शर (बुराई) से |
113 | 5 | और हर हसद करने (जलने) वाले के शर (बुराई) से जब भी वह हसद (जलन) करे |
Salamun Alaikum
ReplyDeleteJanab Haider Alam Sb
Aapka kaam bahot achha laga. Khuda aapko behtereen ajr de. Please aap ye batayen ke aap se rabta kaise ho sakta hai.
Ho sake to apna phone number aur email share karen
mera email ye hai
shazanmasooma@gmail.com