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सूरा-ए-नज्म |
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अज़ीम और दाएमी (हमेशा
बाक़ी रहने वाली) रहमतों वाले ख़ुदा के नाम से शुरू। |
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1 |
क़सम है सितारे की जब
वह टूटा |
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2 |
तुम्हारा साथी न
गुमराह हुआ है और न बहका |
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3 |
और वह अपनी ख़्वाहिश
से कलाम भी नहीं करता है |
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4 |
उसका कलाम वही (वह ही)
वही (पैग़ामे इलाही) है जो मुसलसल (लगातार) नाजि़ल होती रहती है |
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5 |
उसे निहायत (बहुत
ज़्यादा) ताक़त वाले ने तालीम दी है |
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6 |
वह साहेबे हुस्न व
जमाल (हसीन व जमील) जो सीधा खड़ा हुआ |
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7 |
जबकि वह बलन्दतरीन
(सबसे बलन्द) अफ़क़ (किनारे) पर था |
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8 |
फिर वह क़रीब हुआ और
आगे बढ़ा |
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9 |
यहाँ तक कि दो कमान या
इससे कम का फ़ासला रह गया |
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10 |
फिर ख़ुदा ने अपने
बन्दे की तरफ़ जिस राज़ की बात चाही वही (पैग़ामे इलाही) कर दी |
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11 |
दिल ने उस बात को
झुठलाया नहीं जिसको आँखों ने देखा |
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12 |
क्या तुम उससे इस बात
के बारे झगड़ा कर रहे हो जो वह देख रहा है |
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13 |
और उसने तो इसे एक बार
और भी देखा है |
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14 |
सिदरतुल मुनतहा के
नज़दीक (क़रीब) |
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15 |
जिसके पास जन्नतुल
मावा (आरामगाहे बहिश्त) भी है |
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16 |
जब सिदरा पर छा रहा था
जो कुछ कि छा रहा था |
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17 |
उस वक़्त उसकी आँख न
बहकी और न हद से आगे बढ़ी |
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18 |
उसने अपने परवरदिगार
(पालने वाले) की बड़ी बड़ी निशानियाँ देखी हैं |
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19 |
क्या तुम लोगों ने लात
और उज़्ज़ा को देखा है |
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20 |
और मनात जो इनका तीसरा
है उसे भी देखा है |
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21 |
तो क्या तुम्हारे लिए
लड़के हैं और उसके लिए लड़कियाँ हैं |
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22 |
ये इन्तिहाई (बहुत
ज़्यादा) नाइन्साफ़ी की तक़सीम है |
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23 |
ये सब वह नाम हैं जो
तुमने और तुम्हारे बाप दादा ने तय कर लिये हैं ख़ुदा ने उनके बारे में कोई दलील
नाजि़ल नहीं की है। दर हक़ीक़त ये लोग सिर्फ़ अपने गुमानों का इत्तेबा (पैरवी)
कर रहे हैं और जो कुछ इनका दिल चाहता है और यक़ीनन इनके परवरदिगार (पालने वाले)
की तरफ़ से इनके पास हिदायत आ चुकी है |
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24 |
क्या इन्सान को वह सब
मिल सकता है जिसकी आरजू़ करे |
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25 |
बस अल्लाह ही के लिए
दुनिया और आखि़रत सब कुछ है |
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26 |
और आसमानों में कितने
ही फ़रिश्ते हैं जिनकी सिफ़ारिश किसी के काम नहीं आ सकती है जब तक ख़ुदा, जिसके
बारे में चाहे और उसे पसन्द करे, इजाज़त न दे दे |
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27 |
बेशक जो लोग आखि़रत पर
ईमान नहीं रखते हैं वह मलायका (फ़रिश्तों) के नाम लड़कियों जैसे रखते हैं |
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28 |
हालांकि इनके पास इस
सिलसिले में कोई इल्म नहीं है ये सिर्फ़ वहम व गुमान (ख़याल) के पीछे चले जा रहे
हैं और गुमान (ख़याल) हक़ के बारे में कोई फ़ायदा नहीं पहुँचा सकता है |
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29 |
लेहाज़ा (इसलिये) जो
शख़्स भी हमारे जि़क्र से मुँह फेरे और जि़न्दगानी दुनिया के अलावा कुछ न चाहे
आप भी उससे किनाराकश (दूरी अपनाने वाले) हो जाईये |
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30 |
यही इनके इल्म की
इन्तिहा (हद) है और बेशक आपका परवरदिगार (पालने वाला) खू़ब जानता है कि कौन उसके
रास्ते से बहक गया है और कौन हिदायत के रास्ते पर है |
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31 |
और अल्लाह ही के लिए
ज़मीन व आसमान के कुल अखि़्तयारात हैं ताकि वह बद अमल (बुरे काम करने वाले)
अफ़राद (लोगों) को उनके आमाल (कामों) की सज़ा दे सके और नेक (अच्छे) आमाल
(कामों) करने वालों को उनके आमाल (कामों) का अच्छा बदला दे सके |
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32 |
जो लोग गुनाहाने कबीरा
(बहुत बड़े गुनाह) और फ़ोहश (बेहूदा, बेहयाई वाली) बातों से परहेज़ करते हैं
(गुनाहाने सग़ीरा यानि छोटे गुनाहों के अलावा) बेशक आपका परवरदिगार (पालने वाला)
उनके लिए बहुत वसीअ मग़फि़रत (बहुत ज़्यादा गुनाहों की माफ़ी) वाला है वह उस
वक़्त भी सबके हालात से खू़ब वाकि़फ़ था जब उसने तुम्हें ख़ाक से पैदा किया था
और उस वक़्त भी जब तुम माँ के शिकम (पेट) में जनेन की मंजि़ल (बच्चे) में थे
लेहाज़ा (इसलिये) अपने नफ़्स (जान) को ज़्यादा पाकीज़ा (साफ़-सुथरा) न क़रार दो
वह मुत्तक़ी (ख़ुदा से डरने वाले) अफ़राद (लोगों) को खू़ब पहचानता है |
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33 |
क्या आपने उसे भी देखा
है जिसने मुँह फेर लिया |
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34 |
और थोड़ा सा राहे
ख़ुदा में देकर बन्द कर दिया |
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35 |
क्या उसके पास इल्मे
ग़ैब (छिपी हुई बातों का इल्म) है जिसके ज़रिये वह देख रहा है |
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36 |
या उसे उस बात की ख़बर
ही नहीं है जो मूसा (अलैहिस्सलाम) के सहीफ़ों में थी |
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37 |
या इब्राहीम
अलैहिस्सलाम के सहीफ़ों में थी जिन्होंने पूरा-पूरा हक़ अदा किया है |
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38 |
कोई शख़्स भी दूसरे का
बोझ उठाने वाला नहीं है |
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39 |
और इन्सान के लिए
सिर्फ़ उतना ही है जितनी उसने कोशिश की है |
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40 |
और उसकी कोशिश अनक़रीब
(बहुत जल्द) उसके सामने पेश कर दी जायेगी |
53 |
41 |
इसके बाद उसे
पूरा-पूरा बदला दिया जायेगा |
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42 |
और बेशक सबकी आखि़री
मंजि़ल परवरदिगार (पालने वाले) की बारगाह है |
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43 |
और ये कि उसी ने
हँसाया भी है और रूलाया भी है |
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44 |
और वही मौत व हयात
(जि़न्दगी) का देने वाला है |
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45 |
और उसी ने नर और मादा
का जोड़ा पैदा किया है |
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46 |
उस नुत्फ़े से जो रह्म
में डाला जाता है |
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47 |
और उसी के जि़म्मे
दूसरी जि़न्दगी भी है |
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और उसी ने मालदार
बनाया है और सरमाया अता किया है |
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49 |
और वही सितारा शोअराए
(शिअ़रा सितारे) का मालिक है |
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50 |
और उसी ने पहले क़ौमे
आद को हलाक (बरबाद, ख़त्म) किया है |
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51 |
और क़ौमे समूद को भी
फिर किसी को बाक़ी नहीं छोड़ा है |
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52 |
और क़ौमे नूह को इनसे
पहले, कि वह लोग बड़े ज़ालिम और सरकश थे |
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53 |
और उसी ने क़ौम लूत की
उल्टी बस्तियों को पटक दिया है |
53 |
54 |
फिर इनको ढाँक लिया
जिस चीज़ ने कि ढाँक लिया |
53 |
55 |
अब तुम अपने परवरदिगार
(पालने वाले) की किस नेअमत पर शक कर रहे हो |
53 |
56 |
बेशक ये पैग़म्बर भी
अगले डराने वालों में से एक डराने वाला है |
53 |
57 |
देखो क़यामत क़रीब आ
गई है |
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58 |
अल्लाह के अलावा कोई
इसका टालने वाला नहीं है |
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क्या तुम इस बात से
ताज्जुब कर रहे हो |
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60 |
और फिर हँसते हो और
रोते नहीं हो |
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61 |
और तुम बिल्कुल
ग़ाफि़ल (बेपरवाह) हो |
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62 |
(अब से ग़नीमत है) कि
अल्लाह के लिए सजदा करो और उसकी इबादत करो |
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